दिल्ली की फैक्ट्री में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिजन अब शव के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं. 29 लापता लोगों के परिजन कभी फैक्ट्री की जली इमारत तो कभी अस्पताल में अपनों के लिए भटक रहे हैं. इस हादसे में ज्यादातर जान महिला मजदूरों की गई है. दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में सुनीता अपनी 18 साल की बेटी सोनम के लिए सुबह से लगातार रो रही है...पिछले साल पति की मौत करोना से हुई अब सुनीता और तीन बच्चों का खर्चा उठाने वाली 18 साल की बेटी सोनम का पता नहीं है...वो उसी फैक्ट्री में काम करती थी.
राकेश नाम के एक पीड़ित पिता बताते हैं कि उनकी बेटी फैक्ट्री में काम करती थी एक की उम्र 23 साल एक 20 साल की थी. अपनी शादी के लिए पासा इकट्ठा कर रही थी. इस पूरे मामला का दुखद पहलु ये हैं कि 27 शव बुरी तरह जले हुए इसी के चलते ये परिजन इनकी शिनाख्त नहीं कर पा रहे हैं. अस्पताल में मुशर्रत, निशा जैसी दर्जनों महिलाओं के परिजन हैरान परेशान हैं...ये लोग कभी अस्पताल तो कभी जली फैक्ट्री जाकर पता कर रहे हैं.
अस्पताल के सिविल डिफेंस के पास 29 लापता लोगों के नाम है जिनमें 24 महिलाएं हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि जल्द ही DNA टेस्ट करवाया जाएगा. हादसे की शिकार ज्यादातर महिलाएं काफी गरीब हैं और अपने परिवार को पालने के लिए फैक्ट्री में काम करती थी. इस अस्पताल में अपनों के शव का इंतजार कर रहे लोगों के भीतर गम और गुस्सा है. गम अपनों को खोने का और गुस्सा इस बात का है कि औद्योगिक इलाकों में एक के बाद एक हादसों में जान जाने के बावजूद हमारा तंत्र एक ऐसी व्यवस्था नहीं दे पाया जहां ये गरीब मजदूर मेहनत करके अपनी रोजी रोटी कमा सके. न कि अपनी जान गंवा बैठे.
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