नहीं रहे मशहूर शायर मुनव्वर राणा, 71 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

मुनव्वर राणा का लखनऊ में 71 साल की उम्र में निधन हो गया. उर्दू शायरी की मशहूर शख्सियत रहे राणा की शायरी को पसंद करने वाले लोग दुनिया भर में हैं.

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नई दिल्ली:

मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) का रविवार को निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक, 71 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. लखनऊ स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (Sanjay Gandhi Post Graduate Institute of Medical Sciences) में उनका पिछले कुछ वक्‍त से इलाज चल रहा था. मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. हालांकि सरकार से नाराज़गी जताते हुए उन्होंने अपना अवॉर्ड वापस करने का ऐलान किया था. मुनव्वर राणा लंबे समय से बीमार थे. उन्‍हें गले का कैंसर था. 

उनकी बेटी सोमैया ने बताया कि राणा को सोमवार को उनकी वसीयत के मुताबिक लखनऊ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. राणा के परिवार में उनकी पत्नी, पांच बेटियां और एक बेटा है. 

राना के बेटे तबरेज राणा ने बताया, ‘‘बीमारी के कारण वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली.''

मुनव्‍वर राणा का जन्‍म 26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था. उन्‍हें उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. 2014 में कविता 'शहदाबा' के लिए उन्‍हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.  उनकी शायरी बेहद सरल शब्दों पर आधारित हुआ करती थी, जिसने उन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया.

मुनव्वर राणा के निधन पर कई नामचीन हस्तियों ने शोक जताया है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दुख व्‍यक्‍त किया है. 

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कई पुरस्‍कारों से किया गया था सम्‍मानित 

उन्‍हें कई सम्‍मानों और  पुरस्‍कारों से नवाजा गया था, जिनमें अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कार शामिल हैं. 

दुनिया भर में हैं उनके मुरीद 

हिंदुस्तान के सबसे मशहूर शायरों में शुमार किए जाने वाले मुनव्वर राना की नज्म ‘‘मां'' का उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान है. उर्दू शायरी की मशहूर शख्सियत रहे राणा की शायरी को पसंद करने वाले लोग दुनिया भर में हैं. मंचों पर मुनव्‍वर राणा की उपस्थिति बेहद खास होती थी. मंचीय आयोजनों में मां पर उनकी उनकी शायरी के बिना कोई भी कवि सम्‍मेलन और मुशायरा मुकम्‍मल नहीं होता था. वहीं उनके रचनाकर्म में बेटियों और मुहाजिर की पीड़ा जैसे विषयों ने लोगों को बेहद प्रभावित किया. 

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