Tahawwur Rana Case: मुंबई 26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से लाने के बाद भारतीय जांच एजेंसी NIA पूछताछ में जुटी है. शुक्रवार को तहव्वुर राणा से एनआईए के अधिकारियों ने तीन घंटे तक पूछताछ की. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूछताछ के दौरान ज्यादातर सवालों के सवालों के जवाब में राणा ने 'पता नहीं है', 'याद नहीं है' जैसे जवाब दिए. वह बीमारी का बहाना बनाते हुए जांच से बचने की कोशिश कर रहा है. हालांकि एनआईए के पास तहव्वुर राणा के खिलाफ काफी सबूत पहले से हैं. लेकिन राणा की चालाकी के बीच अब इस केस में आगे की अदालती सुनवाई कैसे होगी?
इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर जज ने समझाई पूरी प्रक्रिया
तहव्वुर राणा केस का फैसला कब तक आ सकता है? तहव्वुर राणा को क्या सजा दी जा सकती है? इन सब सवालों पर एनडीटीवी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस सुधीर सक्सेना से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. जस्टिस सुधीर सक्सेना ने बड़ी बारीकी से पूरे मामले को क्लियर किया.
प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को मिलेंगे सभी लीगल राइट्स
इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सुधीर सक्सेना ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है, उसमें यह इंश्योर किया जाएगा कि तहव्वुर राणा को सभी लीगल राइट्स दिए जाएं. इसी राइट्स के तहत उसे दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से वकील भी दिया गया है.
पूछताछ के साथ-साथ मिसिंग डॉट्स मिलाएगी एजेंसी
रिटायर जज ने बताया कि मुंबई आतंकी हमले के मामले में NIA चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुकी है. लेकिन अब वह इस पूरे मामले में मिसिंग डॉट्स को मिलाएगी. तहव्वुर राणा और हेडली के बीच जो फोन पर बात हुई है, ईमेल के जरिए हुई है, व्हाट्सएप पर हुई है, उन सब कॉल रिकॉर्ड को कलेक्ट करना है.
6 महीने तक मिल सकती है राणा की कस्टडी
रिटायर जज ने यह भी बताया कि नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी को कस्टडी 30 दिन तक मिल सकती है. लेकिन जो कोर्ट के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर हैं अगर वह बताते हैं कि अभी कुछ और पूछताछ करनी है तो NIA को 6 महीने तक की रिमांड मिल सकती है.
पूछताछ और जांच के बाद पेश होगी सप्लीमेंट्री चार्जशीट
इस दौरान पुलिस को अपनी सारी कार्यवाही पूरी करके सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करनी होती है. चार्जशीट दाखिल होने के बाद उन्हीं प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा जो अन्य ट्रायल में होता है. रिटायर जज ने यह भी बताया कि इसमें गवाह बहुत है, मटेरियल बहुत ज्यादा है और चार्जशीट बड़ी है तो फाइनल होने में सब कुछ केस को समय लगेगा.
साल भर में कंप्लीट हो जाना चाहिए ट्रायल
NIA ने पहले की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली होगी. 17 साल में लेकिन अगर उनके वकील लंबी-लंबी जिरह करेंगे तो उसमें और समय लग सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस सुधीर सक्सेना ने बताया कि मुझे लगता है कि ट्रायल साल भर में कंप्लीट हो जाना चाहिए.
इहालाबाद हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस सुधीर सक्सेना, जिन्होंने तहव्वुर राणा की सुनवाई के बारे में दी जानकारी.
ट्रायल मुंबई के बाहर भी हो सकता है
कोर्ट को इस मामले में डे टू डे ट्रायल करना चाहिए. NIA राणा की कस्टडी के दौरान कई सवाल करेगी. राणा के मामले में कंस्पायरेसी के चार्ज है और कंस्पायरेसी कई जगह हुई है, ऐसे में ट्रायल मुंबई के अलावा बाहर भी हो सकता है.
तहव्वुर राणा को फांसी की हो सकती है
सुधीर सक्सेना ने यह भी बताया कि इस केस में राणा को फांसी की सजा हो सकती है. फांसी की सजा देते हुए दो चीजों का ध्यान रखा जाता है अग्रेविटिक फैक्टर और मेडिकेटिंग फैक्टर. राणा को इस केस में बीमारी के आधार पर कोई रियायत नहीं मिलेगी.
अगर साल भर में गवाही का काम पूरा हो जाता है तो जजमेंट जल्दी आ सकता है. इस केस में डिले नहीं होना चाहिए, प्रायोरिटी केस है और जैसी उसकी उम्र है वैसे हमें देर नहीं करना चाहिए.
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