Rohit Arya Encounter: 2008 के बेस्ट बस एनकाउंटर की याद दिलाता मुंबई का पवई किडनैपिंग केस

इन दोनों घटनाओं की तुलना की जाए तो मुंबई पुलिस का त्वरित एक्शन. चाहे वह 2008 का बस हाईजैक हो या 2025 का पवई बंधक केस, मुंबई पुलिस ने हमेशा एक्टिव मोड में कार्रवाई की है. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर

2008 Mumbai Bus Hijack: मुंबई के पवई (Pawai Incident) में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले किडनैपर रोहित आर्या की पुलिस एंकाउंटर में मौत हो गई. इन 17 बच्चों के माता पिता समेत पूरे मुंबई को 3 घंटों तक हैरान-परेशान करने वाले रोहित आर्या की कहानी हैरान करने वाली है. इसको हम विस्तार से जानेंगे लेकिन इस कहानी ने 2008 की उस कहानी को फिरसे जिंदा कर दिया जिसनें उस समय पूरे मुंबई को झंकझोर कर रख दिया था...

साल 2008, मुंबई का कुर्ला इलाका. बेस्ट की 332 नंबर बस, जो कुर्ला से अंधेरी जा रही थी, उसमें अचानक हड़कंप मच गया. एक 23 साल का युवक, जिसका नाम राहुल राज था, रिवाल्वर लेकर बस में घुस गया और उसने बस को अगवा करने की कोशिश की.

राहुल राज, पटना का रहने वाला था और एक्सरे फैकल्टी में पढ़ाई कर रहा था. नौकरी की तलाश में मुंबई आया था. उसके पिता के मुताबिक वो अकेला ही मुंबई आया था. लेकिन बस में सवार चश्मदीदों की मानें तो राहुल बार-बार चिल्ला रहा था कि वो राज ठाकरे को मारने आया है, क्योंकि उत्तर भारतीयों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं. उसने एक यात्री से मोबाइल फोन पर पुलिस को सूचना दिलवाई कि पुलिस राज ठाकरे को उसके पास लाए.

पुलिस को जैसे ही सूचना मिली, उन्होंने तुरंत एक्शन लिया. बस को घेर लिया गया और राहुल पर पांच राउंड गोलियां दागी गईं. राहुल ने भी तीन राउंड गोलियां चलाई थीं. घायल राहुल को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई. इस घटना में बस में सवार तीन यात्रियों को मामूली चोटें आई थीं.

मुंबई में बच्चों का अपहरण 

मुंबई के पवई में रोहित आर्या नाम के एक शख्स ने ऑडिशन के बहाने बुलाए गए 17 बच्चों को बंधक बना लिया. ज़रा सोचिए, मासूम बच्चे, जो अपने सपनों को पूरा करने आए थे, अचानक एक सिरफिरे के चंगुल में फंस गए. उनके माता-पिता और पूरा मुंबई शहर 3 घंटों तक सांसें रोके रहा. हर कोई बस यही दुआ कर रहा था कि बच्चे सुरक्षित बाहर आ जाएं.

लेकिन मुंबई पुलिस ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी का परिचय दिया. बिना समय गंवाए, पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई. पुलिस ने पहले रोहित से बातचीत करने की कोशिश की, उसे समझाने-बुझाने की कोशिश की. लेकिन जब बात नहीं बनी, तो पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया. फोर्स एंट्री की गई और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. 

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पुलिस ने बताया कि रोहित आर्या ने पुलिस पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में पुलिस को भी फायरिंग करनी पड़ी. इस जवाबी कार्रवाई में रोहित घायल हो गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

इन दोनों घटनाओं की तुलना की जाए तो पहली बात, मुंबई पुलिस का त्वरित एक्शन. चाहे वह 2008 का बस हाईजैक हो या 2025 का पवई बंधक केस, मुंबई पुलिस ने हमेशा एक्टिव मोड में कार्रवाई की है. 

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एक तरफ रोहित आर्या, जो सुसाइड करने की बजाय बच्चों को बंधक बना लेता है, और दूसरी तरफ राहुल राज, जो गुस्से और बदले की भावना में एक बस को हाईजैक करने की कोशिश करता है. इन कहानियों में डर है, तनाव है, लेकिन सबसे बढ़कर, मुंबई पुलिस की बहादुरी और लोगों की एकजुटता की मिसाल भी है.

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