मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के सिपाही विशाल पवार की मौत का रहस्य गहरा गया है. ऐसे में पुलिस ने अब अलग एंगल से इस मौत के केस की जांच करनी शुरू कर दी है. दरअसल, मृत्यु से पहले विशाल पवार ने जो बयान दिया था, वो जांच के दौरान सही नहीं पाया गया है. ऐसे में अब पुलिस ये तलाशने में जुटी है कि आखिर विशाल पवार ने झूठा बयान क्यों दिया...? ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसके पीछे कोई बड़ी साजिश भी हो सकती है.
फटका गैंग ने छीना फोन...!
सिपाही विशाल पवार ने मौत से पहले दिये बयान में बताया था कि 27 अप्रैल की रात लोकल ट्रेन में यात्रा के दौरान माटुंगा में फटका गैंग ने फटका मारकर उसका मोबाइल छीन लिया. जब उसने उनका पीछा किया, तो उसके हाथ में जहरीला इंजेक्शन लगाकर बेहोश कर दिया. विशाल के मुताबिक, कई घंटे बेहोश रहने के बाद जब उसे होश आया, तो वह किसी तरह घर पहुंचा और फिर अस्पताल में दाखिल कराया गया. विशाल की अब मौत हो चुकी है.
विशाल वहां था ही नहीं, फिर...
मामला बहुत ही संगीन और पुलिस सिपाही की मौत से जुड़ा था, इसलिए दादर जीआरपी ने हत्या का मामला दर्ज कर तहकीकात शुरू की. सीसीटीवी और मृतक के मोबाइल फोन सीडीआर और लोकेशन की जांच के बाद पुलिस का कहना है कि विशाल उस समय वारदात की जगह होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं... यानि विशाल उस समय वहां मौजूद ही नहीं था, जहां उसने बताया.
कुछ और ही कहानी बयां कर रहा सीसीटीवी फुटेज
पुलिस के मुताबिक, जांच में यह बात सामने आई है कि ऐसी कोई वारदात हुई ही नहीं. विशाल पवार ने अपने बयान में कहा था कि संबंधित वारदात 9:30 बजे हुई थी, लेकिन घटना की रात 12 बजे तक सीसीटीवी फुटेज में विशाल पवार दादर में कैलास लस्सी की दुकान के पास दिखे थे. अब ऐसा कैसे हो सकता है कि विशाल के साथ साढ़े नौ बजे कोई वारदात हुई होगी यानि उसने झूठा बयान दिया.
पुलिस को शक है कि सिपाही विशाल पवार शराब पीता था और घटना वाले दिन काम पर नहीं गया था, इसलिए उसने यह कहानी गढ़ी होगी. लेकिन जो बड़ा सवाल है वो ये कि जब कुछ हुआ ही नहीं तो विशाल की मौत कैसे हुई? विशाल पवार की मौत के सही कारण की जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है.
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