ऑक्सीजन, बेड और दवा की कमी से परेशान होम आइसोलेशन वाले मरीज, कई ने तोड़ा दम

महाराष्ट्र में 42,64,936 लोग होम आईसोलेशन में हैं. मुंबई में 6,28,854 लोग घरों में क्वॉरंटीन हैं यानी की सवा करोड़ की जनसंख्या वाली मुंबई में 100 में हर पाँच व्यक्ति घर पर इलाज करवा रहा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
मुंबई:

एक तरफ जहां मुंबई में कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं, शहर में होम आइसोलेशन में मरीज गंभीर होते जा रहे हैं. जहां मुंबई में 6.28 लाख लोग होम आइसोलेशन में हैं तो वहीं महाराष्ट्र में 42 लाख से अधिक मरीज. बेड, ऑक्सीजन और दवा की कमी के कारण होम आईसोलेशन वाले मरीज़ किस तरह से परेशान हैं और कई मरीज दम तोड़ रहे हैं. 72 साल के ये मरीज़ कोविड पोज़िटिव हैं, घर पर ही ऑक्सिजन पर हैं, 25 लोगों से गुहार के बाद एक सामाजिक संस्था से ऑक्सीजन की मदद मिली है. 

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 मरीज़ की रिश्तेदार सकीना इलेक्ट्रिकवाला का कहना है कि मैं अपने मौसा जी के लिए ऑक्सिजन सिलेंडर ढूँढ रही थी, चार घंटे तक हमें इधर से उधर बस लोग घुमाते रहे, इसके बाद मुझे नेश संस्था का कांटैक्ट मिला फिर कुछ ही घंटों में हमतक मदद पहुँची. ये हातिम दोहाडवाला हैं, अपने 75 वर्षीय ससुर के लिए बेड ढूँढ रहे हैं, बेड की क़िल्लत के बीच घर पर ही ऑक्सिजन देकर मरीज़ को बचाने की कोशिश है पर ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ भी बड़ी समस्या है.

मरीज़ के दामाद हातिम दोहाडवाला का कहना है कि डॉक्टर ने बोला इनको ऑक्सीजन दो, अगर इससे कंट्रोल होता है तो भर्ती करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि अस्पताल में वैसे भी जगह नहीं है. लेकिन देखिए ऑक्सीजन ढूँढने में भी बहुत दिक़्क़त हुई. नहीं मिल रहा. मरीज़ को ऑक्सिजन से हटा नहीं सकते,हालत ख़राब हो जाएगी.

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वहीं, अंजुम सैयद अब कोविड निगेटिव हैं लेकिन डिस्चार्ज के बाद भी घर में ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है, एक सिलेंडर बड़ी मुश्किल से ढूँढ पाए. मरीज़ के बेटे अमित सैयद ने कहा कि ये मेरी मम्मी हैं, आप देख सकते हैं, इनका ऑक्सीजन चालू है, ये हमने एक संस्था से लिया है, ये नहीं होता तो बहुत दिक़्क़त होती. पूरे मुंबई में नहीं मिला. 

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एक मरीज की उम्र 72 साल है, ये कोविड पॉज़िटिव थीं, घर में लाए पर ऑक्सिजन की ज़रूरत है. डेली का एक सिलिंडर लग रहा है. घरों में ऐसे हज़ारों मजबूर मरीज़ हैं जिन्हें अस्पताल में जगह ना होने के कारण घर पर ऑक्सिजन देकर ठीक करने की कोशिश है, लेकिन ऑक्सीजन मिलने में देरी और क़िल्लत, मरीज़ों को ना सिर्फ़ गम्भीर कर रही है बल्कि जान भी ले रही है.

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वहीं, NESH सामाजिक संस्था की फाउंडर ज़ुहैर दीवान ने कहा कि यहाँ हम थोड़े सिलेंडर रखकर लोगों की सेवा करते हैं. ख़ासतौर से उनकी जो होम आइसोलेशन में हैं, या जल्दी डिस्चार्ज पर छोड़े गए लोग जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है. एक तो बेड नहीं है ऐसे में डॉक्टर मरीज़ को बोलते हैं ऑक्सीजन जुगाड़ करो. संस्था, हम देख रहे हैं को होम ट्रीटमेंट में लोगों की मौत हो रही है, कितनी बार जब तक हम ऑक्सीजन लेकर पहुँचते हैं तब तक मरीज़ की मौत हो चुकी होती है. ऑक्सीजन मैन की सामाजिक कार्यकर्ता शाहनवाज़ शेख़ का कहना है कि कई लोग के हमारे पास कॉल आते हैं, हम उनकी मदद नहीं कर पा रहे,घंटों बेड का इंतेज़ार कर लोग दम तोड़ रहे हैं.

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आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 42,64,936 लोग होम आईसोलेशन में हैं. मुंबई में 6,28,854 लोग घरों में क्वॉरंटीन हैं यानी की सवा करोड़ की जनसंख्या वाली मुंबई में 100 में हर पाँच व्यक्ति घर पर इलाज करवा रहा है. मेडिकल एक्स्पर्ट्स बताते हैं की बेड, ऑक्सीजन,दवा की क़िल्लत के बीच बेहद ज़रूरी है की होम आईसोलेशन वाले मरीज़ शुरुआत से ही डॉक्टर के सम्पर्क में रहें और सातवें दिन चेस्ट-CT स्कैन करवाएँ ताकि बीमारी का स्टेटस समय पर पता चल सके और मरीज़ गम्भीर होने से बचें.

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