तो BMC चुनाव में नवाब मलिक की जगह बेटी सना पर दांव लगाएगे अजित पवार, जानिए कौन हैं

सना मलिक के पिता नवाब मलिक, महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने लंबे समय तक अणुशक्ति नगर से ही राजनीति की है. सना ने अपने पिता के राजनीतिक अनुभव और जनसेवा की राह को आगे बढ़ाते हुए खुद भी राजनीति में कदम रखा है.

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सना मलिक के बारे में जानें.
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  • महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति के बीच बीएमसी चुनाव को लेकर विवाद गहरा गया है
  • अजित पवार BMC चुनाव के लिए स्वतंत्र अभियान शुरू करने की तैयारी में हैं.
  • नवाब मलिक की जगह अजित पवार उनकी बेटी सना मलिक पर दांव लगाने की तैयारी में हैं.
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मुंबई:

महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों अलग ही करवट ले रही है. बीएमसी और अन्य नगर निगम चुनाव करीब हैं, ऐसे में गठबंधन के साथ अब विरोधी बनते जा रहे हैं. एक तरफ उद्धव और राज ने हाथ मिला लिया है. एमवीए के दूसरे दल अलग-थलग हैं. वहीं महायुति का हिस्सा अजित पवार भी नए ट्विस्ट के मूड में दिखाई दे रहे हैं. सीटों पर बात न बन पाने को लेकर वह वह एकला चलो रे की नीति अपनाने पर विचार कर रहे हैं. वह अपना स्वतंत्र अभियान शुरू करने जा रहे हैं. इसी के तहत उनकी पार्टी के सीनियर नेता सुनीत तटकरे बुधवार शाम को अनुशक्तिनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. ये वही जगह है, जहां से नवाब मलिक की बेटी सना मलिक विधायक हैं.

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सभी जानते हैं कि महायुति में विवाद नवाब मलिक को बीएमसी चुनाव में एनसीपी का इंचार्ज बनाने को लेकर था. नवाब पर लगे आरोपों को देखते हुए महायुति ने इस पर आपत्ति जताई थी. अजित पवार मजबूरी में ऐसा नहीं कर सके. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार की रणनीति इनडायरेक्टली नवाब मलिक और सना मलिक से राजनीतिक फायदा लेने की है, ताकि इलाके के वोटों को अपनी ओर किया जा सके. 

कौन हैं सना मलिक?

सना मलिक एक भारतीय राजनीतिज्ञ, आर्किटेक्ट, वकील और समाज सेवा में सक्रिय कार्यकर्ता हैं, जो महाराष्ट्र के अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा की विधायक हैं. वह वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक की बेटी हैं. सना मलिक का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में ही हुआ. उन्होंने रिजवी कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर से बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर (B.Arch.) की डिग्री प्राप्त की और बाद में रिजवी लॉ कॉलेज, मुंबई विश्वविद्यालय से कानून (LL.B.) की डिग्री भी पूरी की.

उनकी शिक्षा और पेशेवर पृष्ठभूमि ने उन्हें शहर के विकास, सामाजिक न्याय और कानूनी मामलों की गहरी समझ दी, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक मजबूत आधार बनी.

सना मलिक का राजनीतिक करियर

सना मलिक ने 2017 में राजनीति में कदम रखा जब उन्होंने बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) चुनाव में एल वार्ड से चुनाव लड़ा. यह उनका पहला राजनीतिक अनुभव था, और यह उन्हें राजनीतिक जनसेवा की दिशा में सक्रिय रूप से जुड़ने का मंच मिला. समय के साथ, उन्होंने महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रवादी युवती कांग्रेस की उपाध्यक्ष (Vice-President) और बाद में महाराष्ट्र एनसीपी की राज्य प्रवक्ता के रूप में भी काम किया, जिससे उन्हें पार्टी के भीतर एक मजबूत पहचान मिली.

सना को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) द्वारा अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया गया. उन्होंने इस क्षेत्र में चुनाव लड़ते हुए फहाद अहमद को हराकर विधायक की सीट जीत ली. सना मलिक ने विधायक के रूप में कई महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर काम किया है, जिनमें शामिल हैं:

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  • पर्यावरण सुरक्षा-प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई.
  • महिलाओं के अधिकार-महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक समानता.
  • स्वास्थ्य तथा सामाजिक कल्याण- कम सामाजिक सेवाओं वाले समुदायों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार.
  • साथ ही, उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण समिति और महिला एवं बाल कल्याण समिति में भी सक्रिय भूमिका निभाई है.

कैसी है सना मलिक की राजनीत?

सना मलिक जनता-मुखी कार्यशैली को महत्त्व देती हैं. उनका मानना है कि राजनीतिक सेवा में जवाबदेही, पारदर्शिता और जनता का साथ सर्वाधिक अहम है. अपनी चुनावी अभियान में उन्होंने कहा कि वह लोगों के घर-घर जाकर उनके समस्याओं को सुनती हैं और उनके समाधान पर काम करती हैं.सना मलिक के पिता नवाब मलिक, महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने लंबे समय तक अणुशक्ति नगर से ही राजनीति की है. सना ने अपने पिता के राजनीतिक अनुभव और जनसेवा की राह को आगे बढ़ाते हुए खुद भी राजनीति में कदम रखा है.

उनकी पारिवारिक और पेशेवर पृष्ठभूमि ने उन्हें समाजिक मुद्दों को समझने और उनके समाधान पर काम करने के लिए एक मजबूत आधार दिया है. सना मलिक की राजनीति यात्रा एक आर्किटेक्ट-कानून पेशेवर से विधायक तक की प्रेरणादायक कहानी है. उन्होंने न केवल अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिये आवाज भी उठाई है. उनका उद्देश्य है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र को विकास, समावेशन और महिला सशक्तिकरण के मार्ग पर अग्रसर करें.

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