शेख मुजीबुर्रहमान. बंगबंधु के नाम से मशहूर. बांग्लादेश के राष्ट्रपिता. 1971 में पाकिस्तान के जुल्मो-सितम के खिलाफ मुट्ठी तानकर खड़े होकर अलग बांग्लादेश की नींव रखने वाला राजनेता. ढाका में उनकी प्रतिमा लगी है. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सबसे ज्यादा वायरल है, वह बंगबंधु की मूर्ति की है. गले में जूतों की माला डाली गई है. एक उपद्रवी उनके सिर पर नाच रहा है. गले में फंदा डाला गया है. शेख हसीना के खिलाफ गुस्से की आग में उपद्रवियों ने बांग्लादेश की आत्मा को भी जला दिया. संसद में उत्पात और लूटपाट करती ये ऐसी तस्वीरें हैं, जो सदियों तक बांग्लादेशियों के दिलोदिमाग में जज्ब रहेंगी. देखिए जलते और शर्मसार होते बांग्लादेश की 10 तस्वीरें...
अपने राष्ट्रपिता के साथ यह कैसा सुलूक? बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है. उपद्रवियों ने उनके सम्मान में बनाए गए स्मारक को भी नहीं छोड़ा. सबसे ज्यादा बंगबंधु से निशाना बने. इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किस तरह प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़े हुए दिख रहे हैं. इतना ही नहीं एक व्यक्ति तो उनकी मूर्ति के सिर पर ही चढ़ कर बैठ गया.
जिस मुल्क के लिए दी कुर्बानी वो... शेख मुजीब को बांग्लादेश का संस्थापक नेता और अगुआ के रूप में जाना जाता है. उन्होंने ही पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई की थी और बांग्लादेश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका भी निभाई थी. वह बांग्लादेश में शेख मुजीब के नाम से प्रसिद्ध हुए थे और उन्हें बाद में बंगबंधु की पदवी दी गई थी.
1975 में मुजीब की हत्या.. बांग्लादेश के निर्माण के तीन साल बाद ही 15 अगस्त 1975 को सैन्य तख्तापलट के दौरान शेख मुजीब की हत्या कर दी गई थी. शेख मुजीब की हत्या के बाद उनकी बेटी शेख हसीना अपनी बहन के साथ दिल्ली आई थीं और उन्होंने उस वक्त भी भारत में शरण ली थी. इसके बाद वह कई सालों तक भारत की शरण में रही थीं.
1981 में सब ठीक हो जाने पर शेख हसीना वापस बांग्लादेश चली गई थीं और उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया था.
बता दें शेख हसीना के इस्तीफे के साथ ही बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मौजूदा संसद को भंग करने का ऐलान किया है. उनका कहना है कि संविधान के अनुसार मौजूदा संसद को जल्द से जल्द संसद को भंग कर दिया जाएगा. सोमवार को राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास बंगभवन से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यह बयान दिया गया था.
तख्तापलट के बीच मंगलवार को भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन' के समन्वयकों ने घोषणा की है कि नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार होंगे.
‘डेली स्टार' समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन के प्रमुख समन्वयकों में से एक नाहिद इस्लाम ने मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा कि प्रोफेसर यूनुस छात्र समुदाय के आह्वान पर देश को बचाने की खातिर यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हो गए हैं.
नाहिद ने यह भी कहा, ‘‘छात्रों द्वारा प्रस्तावित सरकार के अलावा किसी अन्य सरकार को स्वीकार नहीं किया जाएगा. जैसा कि हमने कहा है, कोई भी सैन्य सरकार या सेना द्वारा समर्थित सरकार या फासीवादियों की सरकार स्वीकार नहीं की जाएगी.''
बांग्लादेश में सोमवार को उस समय अराजकता फैल गई, जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से अचानक इस्तीफा दे दिया और वह सैन्य विमान से देश छोड़कर चली गईं.
हसीना के देश छोड़कर जाने की खबर फैलते ही सैकड़ों लोगों ने उनके आवास में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की. देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पिछले 15 दिन में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है. (इनपुट भाषा से भी)