लक्षिता डागर ने मध्य प्रदेश में एक नया इतिहास रचा है. वो राज्य की सबसे कम उम्र की सरपंच बन गई हैं. लक्षिता डागर ने एनडीवीटी से खास बातचीत में कहा कि सरपंच बनने के बाद उनकी प्राथमिकता गांव का विकास करना है. लोगों की जो भी समस्या आती है उन्हें सुलझा सकूं. उनकी जो भी दिक्कतें हैं उन्हें दूर करने की कोशिश रहेगी. उन्होंने अपनी पढ़ाई के बारे में बताया कि मैं फिलहाल एमए में मास कम्युनेकशन कर रही हैं. इससे पहले मैं न्यूज एंकर और रेडियो जॉकी भी रह चुकी हैं. सरपंच बनने का पीछे का मकसद यही था कि मैं अपने गांव का विकास कर सकूं.
लक्षिता ने आगे बताया कि मुझे लगता है कि अगर गांव की बागडोर एक शिक्षित व्यक्ति संभाले तो गांव का विकास तेजी से हो सकता है. मैं बस ये चाहती हूं कि मेरे गांव की महिलाओं की बात भी सुनी जाए. आज महिलाएं किस क्षेत्र में अपना नाम नहीं कर रहीं हैं, जरूरत है तो उन्हें समर्थन देने की.
अपने एजेंडा को लेकर लक्षिता ने कहा कि जब मैं गांव में प्रचार के लिए गई थी तो मुझे लोगों ने बताया था कि उन्हें पानी की समस्या है. जहां भी नल लगा है उन नलों में कभी पानी नहीं आ रही है. साथ ही घर के बाहर जो नाली बनवाई गई है वो बेकार है. नाली का गड्ढ़ा इतना ज्यादा नहीं है कि उसमे पानी सही से आ जा सके. मेरा मकसद बुजुर्ग लोगों तक वृद्धा पेंसन, विधवा और विकलांग पेंसन है उससे जो वंचित लोग रह गए हैं मैं उन तक इन योजनाओं का फायदा पहुंचाना चाहूंगा. इसके अलावा जिन लोगों के पास कच्चे मकान हैं उन तक मैं प्रधानमंत्री आवास योजना को पहुंचाना चाहती हूं. मेरे इलाकों में स्कूलों की हालत भी सही नहीं है. मैं चाहती हूं कि बच्चों के लिए मैं गांव में अंग्रेजी माध्यम का एक स्कूल खोल पाऊं.