MP : 7 जुलाई को 9 सीट पर होंगे मतदान, शिवराज, सिंधिया सहित इन नेताओं की किस्मत का होगा फैसला

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गृह क्षेत्र गुना को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में वह इस सीट से चुनाव हार गये थे. उस समय वह कांग्रेस में थे.

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भोपाल:

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए मंगलवार को मध्य प्रदेश की नौ सीट पर मतदान होगा. यहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा दिग्विजय सिंह मैदान में हैं. इन नौ लोकसभा सीट- मुरैना, भिंड (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित), ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) से चुनाव लड़ रहे 127 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 1.77 करोड़ से अधिक मतदाता करेंगे.

एक अधिकारी ने बताया कि तीसरे चरण के लिए 20,456 केंद्र पर सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा, जिनमें 1,043 केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जाएगा. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1,77,52,583 पात्र मतदाता हैं, जिनमें 92,68,987 पुरुष, 84,83,105 महिलाएं और 491 ट्रांसजेंडर हैं.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गृह क्षेत्र गुना को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में वह इस सीट से चुनाव हार गये थे. उस समय वह कांग्रेस में थे. भाजपा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगभग 17 वर्षों के बाद विदिशा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है. चौहान का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप भानु शर्मा से है.

राजगढ़ में, कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (77) का मुकाबला दो बार के भाजपा सांसद रोडमल नागर है. भाजपा मध्य प्रदेश में सभी सीट पर जीत की उम्मीद कर रही है. राज्य में लोकसभा की 29 सीट हैं. वर्ष 2019 में भाजपा छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र पर जीत हासिल करने में विफल रही थी. छिंदवाड़ा ही एकमात्र सीट थी जो कि कांग्रेस के खाते में आई. पार्टी के दिग्गज नेता कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ने यह सीट जीती थी.

गुना में यादव समुदाय का हिस्सा अधिक है और सिंधिया का मुकाबला भी कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव से है. ऐसे में इस समुदाय के मत हार जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

वर्ष 2019 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सिंधिया भाजपा के के.पी. यादव से अपना पारिवारिक गढ़ हार गए थे. ग्वालियर के पूर्व शाही परिवार के वंशज सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए. विदिशा में चौहान सहज दिख रहे हैं लेकिन राजगढ़ में मुकाबला कांटे का हो सकता है. दिग्विजय सिंह 1984 और 1991 में राजगढ़ से जीते थे लेकिन 1989 में हार गए और 1993 में वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

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मध्य प्रदेश की कुल 29 सीट में से 12 सीट के लिए मतदान 19 और 26 अप्रैल को दो चरणों में संपन्न हो चुका है. बाकी आठ सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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