MP News: हर दिन विमान, हेलीकॉप्टर पर खर्च 21 लाख, मध्य प्रदेश सरकार का हवाई किराया आसमान पर

MP News: मध्य प्रदेश में विमान और हेलीकॉप्टर यात्रा का खर्च बढ़ा है. यह जानकारी कांग्रेस के दो विधायकों प्रताप ग्रेवाल और पंकज उपाध्याय के सवालों के जवाब में आई है.

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भोपाल:

मध्य प्रदेश सरकार में हवाई यात्रा का बिल लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है. विधानसभा में पेश ताज़ा आंकड़ों के मुताबि मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में सरकार किराये के विमान और हेलिकॉप्टरों पर हर रोज करीब 21 लाख खर्च कर रही है. यह जानकारी कांग्रेस के दो विधायकों प्रताप ग्रेवाल और पंकज उपाध्याय के सवालों के जवाब में आई है.ये आंकड़े ऐसे समय सामने आए हैं जब मध्य प्रदेश का कर्ज पिछले 20 सालों में 16 गुना बढ़कर 20,000 करोड़ से 4.64 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है. राज्य हर साल 27,000 करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज में चुका रहा है. ऐसे में सरकार के बढ़ते हवाई खर्च पर सवाल और तीखे हो गए हैं.

विधानसभा में दिए आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2021 से नवंबर 2025 तक सरकार ने 290 करोड़ विमान किराये पर खर्च किए. चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 2025 के पहले 11 महीनों में ही 90.7 करोड़ निजी कंपनियों को दिए गए यह अब तक का सबसे अधिक सालाना खर्च है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वीकार किया कि 2019 में सालाना विमान किराया मात्र 1.63 करोड़ था. अब यह बढ़कर 2025 में 90.7 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गया है. छह साल में 56 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.जनवरी 2024 से नवंबर 2025 (करीब दो साल) में विमान और हेलिकॉप्टर किराये पर कुल 143 करोड़ खर्च हुए थे. लगभग 6.2 करोड़ प्रति माह यानी औसतन 20-21 लाख प्रति दिन का औसतन खर्च है.जबकि जनवरी 2021 से दिसंबर 2023 (3 साल) के दौरान खर्च 147 करोड़ रहा. यानी लगभग 4.1 करोड़ प्रति माह और 13–14 लाख प्रति दिन. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कार्यकाल में विमान किराए पर मासिक खर्च 50% से अधिक बढ़ गया, जबकि सरकारी बेड़ा घटता चला गया है.

विधानसभा में पेश दस्तावेज बताते हैं कि सरकार ने 2023 में विमान और हेलिकॉप्टर किराये की दरें 20-30% तक बढ़ाई गई हैं. सरकार ने कोविड के बाद पर्यटन में तेजी, चार्टर्ड एयरक्राफ्ट की बढ़ती मांग और महामारी के कारण उत्पादन को वजह बताया है. लोकसभा चुनावों के चलते उनकी मांग बढ़ती गई है. ईंधन और मेंटेनेंस की बढ़ती लागत की वजह से दरें बढ़ानी पड़ी हैं. नई दरों के मुताबिक, पहले जहां विमान के हर घंटे के लिए 4.45 लाख प्रति घंटा चुकाने पड़ते थे. वहां अब 5.70 लाख प्रति घंटे का भुगतान 2024 में किया गया. वहीं हेलिकॉप्टर की दर जहां 3.50 लाख प्रति घंटा थी वो बढ़कर 4.75 लाख प्रति घंटा हो गई है. कुछ हेलीकॉप्टर श्रेणियों में यह किराया 5.29 लाख प्रति घंटा तक हो गया.

विधायक पंकज उपाध्याय के एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि राज्य के पास फिलहाल सिर्फ एक हेलिकॉप्टर उड़ान लायक है. राज्य का सरकारी विमान मई 2021 में क्रैश होने के बाद से ग्वालियर एयरबेस पर खड़ा है  न उसकी मरम्मत हुई, न नया विमान खरीदा गया. सरकार के पास न कोई चालू फिक्स्ड-विंग विमान है और न हेलिकॉप्टरों का पर्याप्त बेड़ा. इस वजह से निजी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ती चली गई और खर्च भी.

विपक्षी दलों का कहना है कि यदि सरकार समय रहते अपने बेड़े की मरम्मत करती तो महंगे किराये पर विमान लेने की जरूरत नहीं पड़ती. अब जब राज्य का कर्ज तेजी से बढ़ रहा है और ब्याज का बोझ रिकॉर्ड स्तर पर है तो बढ़ते एविएशन खर्च को लेकर सवाल और तीखे होते जा रहे हैं.
 

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