MP में 'दम तोड़ती' स्वास्थ्य व्यवस्था! अस्पताल में नवजात बच्चों के हाथ को चूहों ने कुतर डाला, एक की मौत

अस्पताल अधीक्षक डॉ.अशोक यादव ने कहा कि पहले बच्चे की उंगलियों पर चूहे के काटने के निशान थे, लेकिन कहा कि उसमें पहले से इंफेक्शन था. हालांकि चूहे के काटने से मौत नहीं होती है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
इंदौर के अस्पताल में नवजा के हाथों को चूहों ने कुतरा
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • इंदौर के एमवाय अस्पताल के नवजात गहन शिशु कक्ष में चूहों ने दो मासूमों के हाथ कुतरा.
  • अस्पताल अधीक्षक ने बच्चों की मौत चूहों के काटने से असंबंधित बताते हुए जन्मजात बीमारियों को मुख्य कारण बताया.
  • अस्पताल परिसर में चूहों की बढ़ती समस्या और लापरवाही के कारण मरीजों और नवजातों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
इंदौर:

सरकारी अस्पतालों की बदहाली और लापरवाही का सबसे वीभत्स चेहरा इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल से सामने आया है. यहां नवजात गहन शिशु कक्ष (NICU) में भर्ती दो मासूमों के हाथ को चूहों ने कुतर डाला है. मंगलवार को एक बच्चे की मौत हुई और बुधवार को देवास से रेफर होकर आई बच्ची ने भी दम तोड़ दिया. उधर, अस्पताल प्रबंधन मौत का कारण चूहे का काटना मानने को तैयार नहीं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है नवजात तक चूहे आखिर पहुंचे कैसे?

अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने कहा कि हमारे अस्पताल की ओपीडी रोज़ाना 4500 से 5000 तक रहती है. स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 250 कर्मचारी तैनात हैं. अस्पताल में 8 अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं और वेटिंग नहीं रहती. मंगलवार को जिस नवजात की मौत हुई, वह तीन दिन का था. जन्मजात बीमारी से पीड़ित था, दिल में दिक्कत थी, वजन और हीमोग्लोबिन कम था. इलाज के बाद उसे पीडियाट्रिक आईसीयू में रखा गया था. मौत चूहे के काटने से नहीं, बीमारी से हुई है.

उन्होंने माना कि पहले बच्चे की उंगलियों पर चूहे के काटने के निशान थे, लेकिन कहा कि उसमें पहले से इंफेक्शन था. हालांकि चूहे के काटने से मौत नहीं होती है. दूसरे बच्चे के बारे में भी अधीक्षक ने यही तर्क दिया कि उसका वजन बेहद कम था और वह जन्म से ही बीमार थी. इस घटना को लेकर उप अधीक्षक डॉ जितेन्द्र वर्मा ने कहा कि दूसरी बच्ची को भी जन्मजात बीमारियां थीं. हाथों में विकृति थी. सात दिन पहले उसका ऑपरेशन हुआ था. तीन-चार दिन से हालत बिगड़ रही थी, इसलिए वेंटिलेटर पर रखा गया था. चूहे ने उसकी उंगली कुतरी थी, लेकिन मामूली चोट थी. निधन कंजेनिटल एनीमिया और कम वजन के कारण हुआ. 

नवजात शिशुओं को अस्पताल में चूहों के दाँतों से क्यों जूझना पड़े?

पहले नवजात को परिजन मृत समझकर अस्पताल में छोड़कर चले गए थे. फोरेंसिक विभाग ने नियम अनुसार पुलिस को सूचना देकर पोस्टमार्टम कराया. रिपोर्ट में दिल की कई नसों में गड़बड़ी मिली और साथ ही उंगलियों पर चूहे के काटने के निशान पाए गए. दूसरी बच्ची के परिजन विचलित थे और उन्होंने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया.

एमवाय अस्पताल और उसके आसपास का पूरा मेडिकल कैंपस चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल, टीबी व चेस्ट सेंटर सब चूहों का किला बन चुके हैं.अस्पताल स्टाफ तक मानते हैं कि NICU में कई दिनों से एक बड़ा चूहा घूम रहा था. प्रबंधन का तर्क है कि बारिश में झाड़ियां उग आईं और बिलों में पानी भर गया, इसलिए चूहे बाहर आ गए। एक हकीकत मरीजों के तीमारदारी की लापरवाही भी है जिसकी वजह से चूहों को मुफ़्त का भोजन मिलता है. अटेंडर खाने की थैलियाँ लाते हैं और चूहे सरकारी दावत उड़ाते हैं.

अस्पताल के अधीक्षक ने इस घटना को लेकर कहा कि मौजूदा बिल्डिंग 75 साल पुरानी है. सरकार ने नई बिल्डिंग की अनुमति दे दी है और जल्द निर्माण शुरू होगा. थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाएगा और जहां भी अनदेखी हुई है, वहां कार्रवाई होगी. डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने माना कि यह गंभीर लापरवाही है. उन्होंने कहा कि अगर समय पर पेस्ट कंट्रोल हो जाता तो चूहे नहीं दिखते. पेस्ट कंट्रोल एजेंसी पर एक लाख का जुर्माना लगाया गया है और कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का नोटिस दिया गया है. नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाया गया है, दो नर्सिंग ऑफिसरों को सस्पेंड किया गया है और शिशु रोग विभाग के HOD को नोटिस थमाया गया है. 

Advertisement

वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर तीखा हमला बोला उन्होंने कहा कि यह बच्चों को चूहों ने नहीं, भ्रष्ट प्रशासन ने मारा है. जितना दोषी चूहा है, उतना ही अधीक्षक और स्वास्थ्य मंत्री हैं. एमवाय में अराजकता क्यों है? इतने बड़े चूहे बच्चों को खा रहे हैं और भ्रष्टाचार से नेताओं का पेट भरा है. यह पहली बार नहीं, कई बार हो चुका है. 

एमवाय का यह हादसा अकेला नहीं. 2023 में भी राज्य के कई सरकारी अस्पतालों और मुर्दाघरों में चूहों का आतंक सामने आया था,  भोपाल हमीदिया अस्पताल में शव का कान कुतरा गया, विदिशा जिला अस्पताल में शव का नाक और हाथ कुतर दिया गया, सागर जिला अस्पताल में शव की आंखें चूहों ने नोंच डाला. इंदौर का एमवाय अस्पताल, जहां जीवन बचना था, वहाँ मौत ने चूहे का रूप ले लिया है. ये चूहे सिर्फ़ दीवारों पर नहीं, व्यवस्था की छाती पर दौड़ रहे हैं. ये चूहे अनाज नहीं, ज़िंदगी की डोर कुतर रहे हैं. सरकार हर बार कहती है कि अब ऐसी पुनरावृत्ति नहीं होगी. लेकिन सच यही है कि हर बार वादा टूटता है.

Advertisement

उधर इस मामले में जन स्वास्थ्य अभियान, मध्य प्रदेश ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर पूरे घटना की निष्पक्ष स्वतंत्र जांच की मांग की है और जिम्मेदार अस्पताल अधिकारियों की जवाबददेही सुनिश्चित करने की मांग भी की है. 

Featured Video Of The Day
Rahul Gandhi ने Press Conference में क्यों किया Brazlilian Model का जिक्र ? | Election Commission