मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- जातिगत भेदभाव से खतरे में पड़ जाएगा हिंदुओं का अस्तित्व

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं.

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एमपी हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
भोपाल:

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दमोह जिले में ओबीसी समुदाय के एक व्यक्ति को पैर धोकर पानी पीने के लिए मजबूर करने की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने कहा कि देश में जातिगत विद्वेष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. हर जाति अपनी पहचान को लेकर अत्यधिक सचेत हो गई है,जिससे जातिगत हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं. कोर्ट ने कहा कि लोग खुद को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कहकर आपस में लड़ रहे हैं, जिससे हिंदू समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. 

समाज का ताना-बाना हो रहा कमजोर

इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. यही वह राज्य है, जहां एक सामान्य वर्ग के व्यक्ति ने एक आदिवासी पर मूत्र त्याग किया था और तब मुख्यमंत्री ने उस पीड़ित के पैर धोकर माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि समाज में हर जाति अपनी पहचान को अति उत्साह से प्रदर्शित कर रही है. इससे हिंदू समाज का आपसी ताना-बाना कमजोर हो रहा है. 

कोर्ट ने दिए खास निर्देश

कोर्ट ने इस दौरान कई सख्त टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि सामान्यतः वह पुलिस को NSA के अंतर्गत कार्यवाही करने का निर्देश नहीं देता, लेकिन यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो सामाजिक अशांति और हिंसा फैल सकती है. इसलिए दमोह पुलिस एवं प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि जो भी व्यक्ति वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं और जिनकी पहचान की जा सकती है, उनके विरुद्ध FIR के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत भी कार्यवाही करें.
 

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