मध्य प्रदेश सरकार की एक आला अधिकारी ने सोमवार को कहा कि इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना के 17 किलोमीटर की लंबाई में बन रहे पहले गलियारे में सितंबर 2023 तक रेल दौड़ाने की कोशिश प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है. गौरतलब है कि राज्य में अगले विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में होने हैं और महत्वाकांक्षी मेट्रो रेल परियोजना को इन चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएमआरसीएल) की प्रबंध निदेशक छवि भारद्वाज ने इंदौर में संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमारी प्राथमिकता है कि हम इंदौर में मेट्रो रेल के 17 किलोमीटर लम्बे पहले गलियारे का काम जल्द से जल्द पूरा करते हुए इसमें सितंबर 2023 तक रेल को हरी झंडी दिखा दें.''
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इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना का काम पिछड़ जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ मसलों के चलते इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना का काम लंबित रहा था. लेकिन 15 अगस्त से इस काम ने रफ्तार पकड़ ली है और गुजरे तीन महीनों में इसने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है. वह मेट्रो रेल परियोजना की प्रगति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में हिस्सा लेने इंदौर आई थीं. बैठक में स्थानीय लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने सुझाव दिया कि नागपुर की तर्ज पर इंदौर में भी मेट्रो रेल परियोजना के लिए ‘‘डबल डेकर वायाडक्ट'' (आम सड़क के ऊपर दो स्तरों वाली पथ संरचना) बनाया जाना चाहिए.
लालवानी ने कहा कि नजदीकी कस्बे महू से इंदौर के देवास नाका तक डबल डेकर वायाडक्ट बनाया जाना चाहिए. इसके तहत सबसे पहले आम सड़क, सड़क के ऊपर फ्लाई ओवर और फ्लाई ओवर के ऊपर मेट्रो रेल लाइन बिछाई जानी चाहिए ताकि घनी बसावट वाले शहरी क्षेत्र में एक-एक इंच जमीन का पूरा उपयोग किया जा सके.
अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 14 सितंबर 2019 को इंदौर में 7,500.80 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण की नींव रखी थी और इसके तहत शहर में 31.55 किलोमीटर लम्बा मेट्रो रेल गलियारा बनाया जाना है.
गौरतलब है कि इंदौर में प्रस्तावित मेट्रो रेल परियोजना को लेकर पिछले एक दशक से सरकारी दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन अलग-अलग कारणों से इसका काम लगातार पिछड़ता चला गया है. अधिकारियों के मुताबिक पिछले डेढ़ साल में कोविड-19 के प्रकोप के चलते भी इसका काम बाधित हुआ.
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