NDTV की खबर का असर : कारम डैम से जुड़ी दो कंपनियों को सरकार ने किया ब्लैकलिस्ट

मध्य प्रदेश सरकार ने ANS कंस्ट्रक्शन और सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. साथ ही दोनों कंपनियों को नोटिस के साथ रजिस्ट्रेशन भी सस्पेंड कर दिया गया है. बांध निर्माण और सत्ता पक्ष खासकर गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और दोनों कंपनियों से उनके रिश्तों को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.

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कारम डैम लीकेज से जुड़ी कंपनियों पर कार्रवाई

धार में कारम डैम में लीकेज और करोड़ों का चूना लगने के बाद मध्य प्रदेश सरकार अब जागी है. डैम से जुड़ी दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. विपक्ष डैम से जुड़ी कंपनी के बीजेपी के रसूखदार नेता से संबंध होने का आरोप लगा रहा है. दरअसल, सरकार ने ANS कंस्ट्रक्शन और सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. साथ ही दोनों कंपनियों को नोटिस के साथ रजिस्ट्रेशन भी सस्पेंड कर दिया गया है. बांध निर्माण और सत्ता पक्ष खासकर गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और दोनों कंपनियों से उनके रिश्तों को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.

बता दें कि मध्यप्रदेश में बीजेपी की पिछली सरकार के वक्त ई-टेंडरिंग घोटाला सुर्खियों में रहा था, फिर कांग्रेस की सरकार आई. आर्थिक अपराध शाखा से लेकर मामला ईडी तक पहुंचा, दो-तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई, मामला भी दर्ज हुआ उसके बाद दो साल से चुप्पी है. ये महज संयोग नहीं है कि हाल में जिस कारम डैम में लीकेज से 20,000 से ज्यादा लोगों पर खतरा मंडराया और 100 करोड़ रुपये पानी में बह गए, उसके ठेके पर भी ई-टेंडरिंग घोटाले का साया है. सरकार ने खुद विधानसभा में यह बात मानी थी. फौरी तौर पर ई-टेंडर प्रक्रिया में 3000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी, लेकिन चूंकि ये प्रक्रिया 2014 से ही लागू है जिसके तहत तकरीबन 3 लाख करोड़ रुपये के टेंडर दिये जा चुके हैं.

मध्यप्रदेश के बांधों से भ्रष्टाचार की धारा बहती रहती है. 2021 में 35 करोड़ के पुल-पुलिया बह गए जो 2-3 सालों में बने थे. सोमवार को बीना नदी पर करोड़ों की लागत से बना बेगमगंज हैदरगढ़ पुल का हिस्सा तीन फीट तक धंस गया. यूपी-एमपी की सीमा पर राजघाट बांध बनकर बिगड़ भी गया लेकिन दोनों राज्यों ने ₹50 करोड़ नहीं दिये जिससे न तो लोकार्पण हुआ न सौंदर्यीकरण लेकिन हाल ही में कारम डैम ने जो कहानी बताई वो तो गजब ही है. कारम डैम में दो चैनल के जरिये, 15 MCM पानी तो बहा दिया गया, इसके साथ ही लगभग 100 करोड़ भी बह गए. अप्रैल 2018 में जब NDTV ने ई-टेंडर घोटाले की परतें खोली थीं तो पता लगा था कि कैसे जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है. लगभग 3000 करोड़ के घोटाले की जांच EOW को सौंपी गई थी. महीनों जांच शुरू नहीं हुई तब तत्‍कालीन केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से हमने सीधा सवाल पूछा था. 

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गौरतलब है कि कारम डैम के इलाके में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उन गांवों में पहुंचे,जहां की तस्वीरें और व्यथा हमने बताई थी. दौरे के बाद उन्होंने भी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा, "पूरे प्रदेश में पंचायत से लेकर मंत्रालय तकभ्रष्टाचार की दीमक लगी है. ये केवल नाटक-नौटंकी इवेंट मैनजमेंट है. पानी निकालने की आवश्यकता क्यों हुई?  ये पहली बारिश थी पता नहीं कितने डैम फूटेंगे कितने पुल-पुलिया फूटेंगे." अजब मध्यप्रदेश में ई टेंडरिंग की कहानी गजब है.10 हजार कमाने वाले भोपाल नगरनिगम के कर्मचारी पर एक बड़े बाबू की नजरे-ए-इनायत हुई, रातों रात उसकी कंस्ट्रक्शन फर्म बनवाई गई. जल संसाधन के बड़े ठेके इनकी फर्म पर सबलेट होने लगे और ये शख्स इसे नगद में बदलकर अफसरों को रिश्वत बांटता रहा. ये सब प्रवर्तन निदेशालय ने अपने प्रेस नोट में भी लिखा था. लेकिन 2 साल से हुआ कुछ नहीं.

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