MP : बड़वानी में प्रसव के लिए गर्भवती महिला को कपड़े में लपेटकर 8 किमी तक पैदल चले परिजन

पगडंडी के रास्ते 20 वर्षीय गर्भवती महिला को कपड़े में लपेटकर 8 किमी तक पैदल चलने वाला दृश्य काफी विचलित करने वाला है. लेकिन इससे पहले एक सवाल भी खड़ा होता है कि परिजनों के इन कंधों पर कपड़े के अंदर एक गर्भवती महिला है या आज का सिस्टम?

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पानसेमल में 20 वर्षीय गर्भवती महिला को कपड़े में लेकर परिजनों को 8 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा.
बड़वानी:

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले से दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. यह मामला सरकार के तमाम व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े कर देने वाला है. दरअसल, जिले के पानसेमल विकास खंड के ग्राम खामघाट में 20 वर्षीय गर्भवती महिला को कपड़े में लेकर 8 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा. गर्भवती महिला के परिजन महिला को कपड़े में लपेटकर खामघाट से रानीकाजल तक 8 किलोमीटर पैदल सफर तय कर के पानसेमल के अस्पताल पहुंचे. महिला के परिजनों को पानसेमल पहुंचने के लिए कुल 28 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा, जिसमें उन्हें 20 किमी वाहन से और 8 किमी पैदल चलना पड़ा.

पगडंडी के रास्ते 20 वर्षीय गर्भवती महिला को कपड़े में लपेटकर 8 किमी तक पैदल चलने वाला दृश्य काफी विचलित करने वाला है. लेकिन इससे पहले एक सवाल भी खड़ा होता है कि परिजनों के इन कंधों पर कपड़े के अंदर एक गर्भवती महिला है या आज का सिस्टम? आज देश में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है. वहीं कई गांव ऐसे भी हैं जहां अब तक आवागमन के लिए सड़क तक नहीं है. यह सिस्टम पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. यह जिले का कोई पहला मामला नहीं है. पानसेमल से आए दिन इस तरह के कई वीडियो सामने आते हैं.

ग्रामीणों ने यह आरोप भी लगाया कि सड़क की समस्या को लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों को कई बार आवेदन और ज्ञापन देकर पक्की सड़क की मांग कर चुके हैं. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी आज तक गांव की सुध लेने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आया है. वह चाहे कांग्रेस का हो या फिर बीजेपी का. इन्हीं हालातों के चलते ग्रामीणों को गंभीर बीमारियों में या फिर गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए इसी तरह कपड़े में डाल कर कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. तब कहीं जाकर उन्हें इलाज मुहैया हो पाता है.

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इस मामले में पानसेमल ब्लॉक के खामघाट के रहने वाली 20 वर्षीय सुनीता को प्रसव पीड़ा होने लगी, जिसके बाद उसके परिजन उसे कपड़े में लपेटकर कंधों के सहारे अस्पताल की ओर निकल पड़े. यह सफर कुल 28 किलोमीटर का था, जिसमें खामघाट से रानीकाजल तक का 8 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है, फिर वहां से वाहन के माध्यम से 20 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद अस्पताल पहुंच पाते हैं. हालांकि इस मामले में इतना लंबा सफर तय कर गर्भवती महिला को सुरक्षित अस्पताल पहुंचा दिया गया. लेकिन अगर इस दरमियान महिला को ज्यादा तकलीफ होती तो उसके लिए जान का खतरा भी बन सकता था. बहरहाल इन वीडियो के सामने आने के बाद प्रदेश सरकार और जिले के चुने हुए जनप्रतिनिधि किस तरह का प्रयास करते हैं यह देखने वाली बात होगी.

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