- डीआरडीओ के वीआरडीई ने माउंटेड गन सिस्टम को सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है.
- भारतीय सेना को कम से 700 से 800 माउंटेड गन की जरूरत है.
- यह गन 155 मिमी कैलिबर की है और 45 किमी की रेंज में 6 राउंड फायर कर सकती है.
- इस सिस्टम को सियाचिन से लेकर राजस्थान तक के मुश्किल इलाकों में आसानी से तैनात किया जा सकता है.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (वीआरडीई) का माउंटेड गन सिस्टम पूरी तरह तैयार हो गया है. अब जल्द ही सेना इसका ट्रायल करने जा रही है. इसे डिजाइन और डेवलप भी वीआरडीई ने ही किया हैं. माउंटेड गन यानी कि ऐसी गन जिसे एक आर्म्ड व्हीकल में तैनात किया जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे सेना किसी भी स्थिति में कहीं भी तैनात कर सकती है और इसे कहीं भी ले जाना भी काफी आसान होता है.
दुश्मन को नहीं होगी फायरिंग की भनक
जब दुश्मन पर फायरिंग होती है तो उसे लोकेशन का पता लग सकता है और ऐसे में इसे फटाफट वहां से हटाया जा सकता है. माउंटेड गन का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप गन की लोकेशन को तुरंत बदल सकते हैं. ऐसे में दुश्मन गन पर सटीक फायर नही कर पाता है. रेगिस्तान हो या फिर समतल इलाका या फिर सियाचिन के दुर्गम पहाड़ या चाहे उत्तर पूर्वी राज्यों का पहाड़ी इलाका हो, इसे हर जगह तैनात किया जा सकता है. इसका ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है और इसे रेल या फिर C- 17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से भी कहीं ले जाया जा सकता है.
एक मिनट में 6 राउंड फायर
सबसे खास बात है कि यह गन सिस्टम पूरी तरह देसी है. 155 मिलीमीटर और 52 कैलिबर वाली तोप में, गोला बारूद से लेकर व्हीकल सिस्टम तक, प्रयोग हुए 80 फीसदी साजो-सामान देश में ही निर्मित हैं. इसकी रेंज 45 किलोमीटर है और एक मिनट में यह 6 राउंड फायर कर सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं सिर्फ 85 सेकंड में यह गन फायरिंग के लिए रेडी हो जाती है. जिस जगह पर यह गन अपना लक्ष्य भेदती है, वहां पर 50 स्क्वायर मीटर का इलाका तबाह हो जाता है.
90 किमी प्रति घंटे की स्पीड
यह गन सिस्टम ऊबड़-खाबड़ एरिया में 60 किलोमीटर प्रति घंटा और समतल एरिया में 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है. इसका कुल वजन करीब 30 टन है. 15 टन व्हीकल का और 15 टन वजन तोप का है. इस माउंटेड गन में ATAGS यानी अटैक गन फिट है. यह एक स्वदेशी एडवांस टॉड गन सिस्टम है जो सेना में शामिल हो चुका है और पूरी तरह से अत्याधुनिक है. गन में हर सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. इसे कॉर्डिनेट बेस देने के बाद अगले ही पल वह जगह पूरी तरह से तबाह हो जाती है. गन में सात क्रू के लिए जगह है. व्हीकल में आगे केबिन बुलेट प्रूफ है ओर इस वजह से क्रू पूरी तरह से सुरक्षित रहता है. इस सिस्टम को बनाने में सिर्फ ढाई साल का समय लगा है.
दुश्मन के घर आएगी तबाही
इस सिस्टम की भारत में फिलहाल सिर्फ 15 करोड़ है लेकिन अगर विदेश से इसी रेंज का सिस्टम खरीदा जाए तो कीमत करीब 30 से 35 करोड़ के आसपास होगी. वीआरडीई का कहना है कि अगर उसे ज्यादा आर्डर मिलते हैं तो फिर इसकी कीमत और भी कम हो सकती है. भारतीय सेना को कम से 700 से 800 माउंटेड गन की जरूरत है जबकि अभी सेना के पास ऐसी एक भी गन नही हैं. आपको बता दें कि दुनिया में गिनती के ही कुछ देश हैं जो माउंटेड गन बनाते हैं और भारत अब उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है. हाल ही में रूस यूक्रेन युद्ध ने दिखा दिया है कि माउंटेड गन किस तरह से किसी जंग की दिशा को बदल सकता है. आर्टिलरी गन के बदौलत ही आप दुश्मन के एरिया में फायर कर तबाही मचा सकते हैं.