महाराष्ट्र में ऐतिहासिक फ़ैसला हुआ है. सरकारी डॉक्यूमेंट्स पर मां का नाम अनिवार्य कर दिया गया है. 1 मई 2024 को या उसके बाद पैदा होने वाले बच्चों के लिए यह अनिवार्य होगा. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों ने अपने नेम प्लेट बदलकर प्रतीकात्मक तौर पर मां का नाम जोड़ दिया है. महाराष्ट्र में 01 मई 2024 या उसके बाद पैदा हुए बच्चों को अपने पहले नाम के बाद अपनी मां नाम और फिर पिता का नाम और आख़िर में सरनेम लगाना होगा.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय के बाहर उनके नेम प्लेट में एकनाथ गंगूबाई संभाजी शिंदे लिखा हुआ है यानी गंगुबाई उनकी माता का नाम है, जो नेमप्लेट में अब उनके नाम के साथ देखा जा रहा है. इस तरह का प्रतीकात्मक बदलाव ना सिर्फ़ सीएम ने बल्कि उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और देवेंद्र फ़ड़णवीस ने भी कर दिये हैं. मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि प्रतीकात्मक तौर से तमाम अफ़सरों और स्टाफ़ के नेमप्लेट में भी उनकी माताओं के नाम पिता के नाम से पहले लिखे गये हैं.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने फ़ैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि जो पालन पोषण कर बड़ा करे, उनके नाम के बिना एक बच्चे की पहचान कुछ नहीं. नारी के बिना जीवन कैसा? एक मां बच्चे के लिए क्या-क्या नहीं करती? पालन-पोषण, त्याग. उनके नाम के बिना हमारी पहचान कैसी? शिंदे सरकार का ये बड़ा खूबसूरत फ़ैसला है. छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई का ये सम्मान है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा कि “मैंने यह प्रस्ताव रखा, जिसे पास किया गया, महाराष्ट्र ऐसा पहला राज्य है, जिसने ये फ़ैसला लिया. ये हम भी जानते हैं कि पिता की तरह, बच्चे की मां भी बच्चे के पालन-पोषण में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. फ़ैसला ग़ौर करने योग्य है क्योंकि ना सिर्फ़ मां का नाम जोड़ना अनिवार्य होगा बल्कि पिता से पहले मां का नाम आएगा. महाराष्ट्र सरकार का ये फ़ैसला मांओं को उचित मान्यता और सम्मान दिये जाने की ओर ऐसा कदम है, जिसकी हर तरफ़ सराहना हो रही है.