कभी हुआ करता था सबसे फास्ट पेमेंट प्लेटफॉर्म, आज हो चुका बंद; जानें मनीऑर्डर की कहानी

भारत में 1854 में चिट्ठियों के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग की स्थापना की गई थी. लगभग 26 साल बाद, डाक विभाग ने आज ही के दिन यानी 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत की थी. हालांकि, वर्तमान में ये सेवा बंद है.

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नई दिल्ली:

देश डिजिटल दौर में जी रहा है. हालांकि, एक दौर ऐसा भी था जब लोग एक दूसरे का हाल चाल जानने के लिए चिट्ठियों का आदान-प्रदान करते थे. दूर बसे परिवार तक रुपया पैसा पहुंचाने का लोकप्रिय जरिया मनी ऑर्डर सेवा होती थी. डाक विभाग की इस सेवा का वर्षों तक बहुतायत में प्रयोग किया गया. गुजरे जमाने की मनीऑर्डर व्यवस्था आज के पेटीएम जैसी थी. इसका इतिहास रोचक है.

भारत में 1854 में चिट्ठियों के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग की स्थापना की गई थी. लगभग 26 साल बाद, डाक विभाग ने आज ही के दिन यानी 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत की थी. हालांकि, वर्तमान में ये सेवा बंद है.

कैसे काम करता था मनीऑर्डर?

जिस भी व्यक्ति को रुपये अपने घर या जिस पते पर भेजने होते थे, वो उस पते के साथ नजदीकी डाकघर में जाकर रुपये जमा कर देता था. हालांकि, इस सेवा के लिए उसे कुछ शुल्क का भी भुगतान करना पड़ता था. जमा किए गए पैसे संबंधित डाकघर में सुरक्षित रहते थे. जब कागजी मनीऑर्डर भेजे गए पते पर पहुंचता, तो डाकिया उस व्यक्ति को नकद राशि दे देता था. 19वीं सदी में यह सेवा एक क्रांति के समान थी, जिसने लोगों के लिए पैसे भेजने का एक सुरक्षित और सरल तरीका प्रदान किया था.

अपने समय का था Paytm

हालांकि, डाक विभाग की स्थापना के डाक सेवा के माध्यम से चिट्ठि‍यों का पहुंचना आम हो गया था, लेकिन इसके साथ ही साथ मनीऑर्डर सेवा के जरिए रुपये भेज पाना भी लोगों के लिए बहुत बड़ी सुविधा बन गई थी. खासकर ऐसे लोगों के लिए जो रोजगार की तलाश में गांवों से शहर चले गए थे. गांवों से शहरों में जाकर मजदूरी और नौकरी करने वाले लोगों को रुपये घर पर भेजना बड़ी समस्या थी, जो मनीऑर्डर सेवा के जरिए आसान हो गई थी.

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हालांकि, जब भारतीय डाक विभाग की मनीऑर्डर सेवा की शुरुआत नहीं हुई तब उन्हें या खुद रुपये लेकर घर जाना पड़ता था, या फिर जब कोई मजदूर जो कि उनके गांव या आसपास का होता था, उसके जरिए रुपये भिजवाते थे. ऐसे में कई बार जरूरत पर रुपये घर नहीं पहुंच पाते थे. 1 जनवरी 1880 को मनीऑर्डर सेवा शुरू होने के बाद से लोगों की रुपये भेजने की समस्या का समाधान हो गया था. किसी कारण शादी समारोह में न जाने के कारण लोग मनीऑर्डर से शगुन भी भेजने लगे थे.

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बता दें कि देश में करीब 135 वर्षों तक भारतीय डाक की मनीऑर्डर सेवा चालू थी. देश में इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के अलावा इंस्टेंट पेमेंट ऐप के आने से मनीऑर्डर का चलन लगभग खत्म हो गया. देश में यह सेवा साल 2015 में बंद कर दी गई. हालांकि, मनीऑर्डर सेवा बंद करने के बाद डाग विभाग ने नई इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर (ईएमओ) और इंस्टैंट मनीऑर्डर (आईएमओ) सेवाएं शुरू की. इनके माध्यम से रुयये जल्दी भेजे जाते हैं.
 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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