बीजेपी के नजरिए से नहीं, संघ में आकर संघ को समझिए...कोलकाता में मोहन भागवत का बयान

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कई लोग संघ को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं, जो कि एक बड़ी गलती है.

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कोलकाता:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कहा कि अगर कोई ‘संघ' को समझना चाहता है तो तुलना करने से गलतफहमियां पैदा होंगी. उन्होंने कहा कि संघ को सिर्फ एक सेवा संगठन मानना भी बड़ी भूल होगी. इसके साथ ही भागवत ने यह भी कहा कि कई लोग संघ को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं, जो पूरी तरह गलत है.

संघ का शत्रु कोई नहीं

भागवत ने कहा कि संघ के कई कार्यकर्ता राजनीतिक दलों में काम करते हैं, लेकिन इससे यह निष्कर्ष निकालना कि संघ एक राजनीतिक संगठन है, पूरी तरह गलत है. संघ का कोई शत्रु नहीं है, लेकिन जिनके स्वार्थ पर असर पड़ता है, वे विरोध करते हैं और झूठ फैलाते हैं. हमारा प्रयास है कि संघ के बारे में राय वस्तुस्थिति पर बने, न कि किसी तीसरे स्रोत से फैलाए गए गलत नैरेटिव पर.

संघ की स्थापना का उद्देश्य

संघ की स्थापना भारत की जय-जयकार और विश्वगुरु बनने के सपने के साथ हुई थी. यह किसी राजनीतिक उद्देश्य या प्रतिक्रिया में नहीं बना. संघ का जन्म हिन्दू समाज के संगठन के लिए हुआ है. डॉ. हेडगेवार ने यह सवाल उठाया कि कुशल योद्धा और बुद्धिमान समाज होते हुए भी अंग्रेज़ों ने हम पर शासन कैसे कर लिया? 1857 की क्रांति की असफलता ने यह सोचने पर मजबूर किया.

डॉ. हेडगेवार का जीवन और त्याग

डॉ. हेडगेवार के जीवन में देश के काम के अलावा कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था. बचपन में माता-पिता का निधन प्लेग रोगियों की सेवा करते हुए हुआ. उन्होंने निर्धनता में जीवन बिताया, लेकिन मेधावी रहे. उन्होंने कभी अंग्रेज़ी सरकार को स्वीकार नहीं किया और न्यायाधीश के सामने कहा—“स्वतंत्र होना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है.” उन्होंने नौकरी नहीं की, विवाह नहीं किया और असहयोग आंदोलन में सक्रिय रहे.

संघ की कार्यपद्धति और लक्ष्य

संघ का उद्देश्य किसी को नष्ट करना नहीं है. सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना और व्यक्ति निर्माण के माध्यम से समाज जीवन में परिवर्तन लाना संघ की कार्यपद्धति है. संघ किसी का विरोध नहीं करता, बल्कि अच्छे कामों में सहयोग करता है. संघ की शाखा का मतलब है, एक घंटा सब भूलकर देश के लिए चिंतन करना.

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हिन्दू की परिभाषा और भारत की विशेषता

भागवत ने कहा कि हिन्दू कोई धर्म या मजहब नहीं, बल्कि एक स्वभाव है. भारत का कोई भी व्यक्ति जो इस संस्कृति और मातृभूमि को मानता है, वह हिन्दू है. हिन्दू सर्वसमावेशक होते हैं और सबका कल्याण मानते हैं. हमारी विविधता उसी एकता से निकली है. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इंडो-ईरानियन प्लेट पर रहने वालों का डीएनए 40 हजार वर्षों से एक है.

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