राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने शनिवार को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण के प्रति प्रतिकूल रवैया अपनाने का आरोप लगाया. यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए प्रसाद ने दावा किया कि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का उत्पीड़न जारी है क्योंकि ‘‘सामंती लक्षण इतनी आसानी से नहीं जाते.''
प्रसाद ने पत्रकार मनोज मित्ता की पुस्तक ‘‘कास्ट प्राइड: बैटल्स फॉर इक्वेलिटी इन हिंदू इंडिया'' का यहां विमोचन किया. मोदी या भाजपा का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष करते हुए प्रसाद ने कहा, ‘‘इस देश के प्रधानमंत्री जातियों से व्यथित लगते हैं. वह अपने भाषणों में जाति का उल्लेख करते रहते हैं, शायद उन्हें लगता है कि यह सामाजिक वास्तविकता उन्हें शांति का आनंद नहीं लेने देगी. अगर वह ऐसा सोचते हैं तो वह सही हैं.''
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने उनके सहयोगी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आदेशित जाति सर्वेक्षण के प्रति ‘‘घृणा'' का प्रदर्शन किया क्योंकि जब उच्चतम न्यायालय के समक्ष इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी तो भारत के सॉलिसिटर जनरल ने दलीलें दीं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जाति सर्वेक्षण क्यों नहीं होना चाहिए? वास्तविक आंकड़े जाने बिना, हम अनुमानों के आधार पर कार्रवाई करते हैं, और कमजोर वर्गों के लिए आवंटन इस तरह से किया जाता है जैसे कि यह अधिकार का मामला नहीं बल्कि एक उपकार था.''