- हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे पहुंच गया है, बावजूद इसके भारतीय सेना सक्रिय है.
- सियाचिन ग्लेशियर में तापमान माइनस तीस डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, लेकिन जवान चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं.
- कश्मीर के कुपवाड़ा, तंगधार और गुलमर्ग में बर्फबारी के बीच आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए पेट्रोलिंग जारी है.
हिमालय की दुर्गम और बर्फ से ढकी ऊंचाइयों पर इन दिनों मौसम बेहद बिगड़ा हुआ है. लद्दाख, कारगिल, गलवान, उत्तर सिक्किम, शम्शाबरी रेंज और ग्रेटर हिमालय क्षेत्र में तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला गया है. भारी हिमपात, तेज बर्फीली हवाएं, कम ऑक्सीजन और सीमित दृश्यता के बावजूद इस मौसम में भारतीय सेना के हौसलों पर जरा भी फर्क नहीं पड़ा है. इन परिस्थितियों में भी भारतीय सेना के जवान देश की सीमाओं की सुरक्षा में पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं.
दुनिया के सबसे ऊंचे और कठिन सैन्य क्षेत्रों में शामिल सियाचिन ग्लेशियर में सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे चला जाता है. यहां पूरे साल बर्फ और ग्लेशियरों के बीच भारतीय सेना की अग्रिम चौकियां सक्रिय रहती हैं. अत्यधिक ठंड, बर्फीले तूफान और जानलेवा मौसम के बावजूद जवान चौबीसों घंटे निगरानी करते हैं और ऑपरेशनल ड्यूटी निभाते हैं.
ऊंचे दर्रों और अग्रिम पोस्टों पर बर्फ की मोटी परत
लद्दाख और कारगिल सेक्टर में इस समय दिन का तापमान माइनस 7 से माइनस 10 डिग्री सेल्सियस के बीच है जबकि रात के समय यह माइनस 15 डिग्री से भी नीचे पहुंच जाता है. हालिया बर्फबारी के कारण ऊंचे दर्रों और अग्रिम पोस्टों पर बर्फ की मोटी परत जम गई है. फिसलन भरी जमीन और सीमित आवाजाही के बावजूद रसद, संचार और निगरानी बनाए रखना भारतीय सेना के नियमित कार्यों में शामिल है.
आतंकी हर वक्त घुसपैठ की फिराक में
कश्मीर में कुपवाड़ा , तंगधार और गुलमर्ग सेक्टर में भी तापमान शून्य से नीचे चला गया है. फारवर्ड पोस्ट के इलाके में कई जगहों पर बर्फ की मोटी परत जमी है. कुहासे और धुंध में पेट्रोलिंग करना बहुत भारी चुनौती का काम है. खासकर ऐसी जगहों पर जहां पर आतंकी घुसपैठ की फिराक में लगे रहते हैं. कड़ाके की ठंड में इन आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में पाकिस्तानी सेना हमेशा तैयार बनी रहती है.
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में दिन के समय तापमान 5 से 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, लेकिन रात में यह शून्य से नीचे चला जाता है. ऊंची रिज लाइनों और पोस्टों पर बर्फ स्थायी रूप से जमी रहती है. ऐसे हालात में लगातार पेट्रोलिंग और चौकसी बनाए रखना उच्च स्तर के प्रशिक्षण और मानसिक दृढ़ता की मांग करता है.
हिमपात के दौरान खड़ी हो जाती है और चुनौतियां
वहीं उत्तर सिक्किम और ग्रेटर हिमालय क्षेत्र में ऊंचाई के साथ मौसम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. 4,000 मीटर से ऊपर के इलाकों में हमेशा बर्फ जमी रहती है. सर्दियों के दौरान ये हिम रेखा और नीचे आ जाती है. भारी हिमपात के कारण कई बार संपर्क मार्ग बाधित हो जाता है, लेकिन सेना वैकल्पिक साधनों और तैयारी के जरिए ऑपरेशनल मुस्तैदी बनाए रखती है.
इन सभी क्षेत्रों में भारतीय सेना ठंड में पहनी जाने वाली विशेष पोशाकों, बहुत ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कारगर उपकरण, सटीक मौसम निगरानी प्रणाली और विशेष प्रशिक्षण का उपयोग कर रही है. सीमित ऑक्सीजन और अत्यधिक ठंड में काम करना केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बड़ी चुनौती है, जिसे सैनिक अनुशासन और कर्तव्यबोध के साथ निभाते हैं.
देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं जवान
कठिनतम जलवायु और भूभाग के बावजूद भारतीय सेना की सतत तैनाती यह सुनिश्चित करती है कि देश की सीमाएं हर समय सुरक्षित रहे. हिमालय की बर्फ में खड़े ये अडिग प्रहरी, हर मौसम में राष्ट्र की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं.














