वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर (Anurag Thakur) ने कहा है कि अनलॉक के तहत देश में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के बाद श्रमिक शहरों की ओर लौट रहे हैं. हालांकि फिर भी अगर जरूरत पड़ी तो सरकार मनरेगा योजना का बजट (MNREGA budget) और बढ़ाएगी. ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा को बेहद अहम माना जाता है.
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट एक फरवरी को पेश किया था. इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) का बजट 61, 500 करोड़ रुपये रखा गया है. ठाकुर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में मनरेगा खर्च का अनुमान 60,000 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर 71,001.81 करोड़ रुपये किया गया. कोरोना की महामारी के बाद प्रवासी मजदूरों के पलायन को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में भी इसे 61,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,11,500 करोड़ रुपये किया गया है. आगे जरूरत पड़ने के हिसाब से बजट में और बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता.
ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने गरीबों और समाज के कमजोर तबके के हित में कई कदम उठाए हैं. वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मनरेगा खर्च को कम करने के कांग्रेस के आरोप पर ठाकुर ने कहा कि सरकार इस पर लगातार खर्च बढ़ा रही है. कांग्रेस की तरह संशोधित अनुमान में इसमें कटौती नहीं कर रही है।
ठाकुर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा खर्च में अहम बढ़ोतरी की गई है.लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौट गए थे. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने की जरूरत थी।. अनलॉक के बाद अब ये श्रमिक लौटने लगे हैं। ऐसे में संभवत: भारी खर्च की जरूरत नहीं होगी.
चालू वित्त वर्ष के 9.5 प्रतिशत के बड़े राजकोषीय घाटे के अनुमान पर ठाकुर ने कहा कि वित्त वर्ष के लिए यह ज्यादा दिख रहा है. लेकिन सरकार ने 2025-26 तक इसे 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है.अर्थशास्त्रियों ने भी कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार को खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया था, जिससे गरीबों का जीवन बचाया सके. उद्योग क्षेत्र की भी मदद की गई, ताकि रोजगार को बचाया जा सके. अभी जो संकेत मिल रहे हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि कि अर्थव्यवस्था उबरने की राह पर है. बजट में भी अगले वित्त वर्ष में मौजूदा कीमत पर जीडीपी की वृद्धि दर 14.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.