मनरेगा की जगह 'जी राम जी' योजना, सरकार संसद में लाने वाली है बिल, जानिए क्या होगा खास

सरकार ने मनरेगा का नाम बदलने के लिए संसद में एक बिल लाने वाली है. सरकार ने इस विधेयक की प्रति सांसदों को मुहैया करा दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना का नाम बदल दिया है. अब इस योजना का नया नाम 'जी राम जी' योजना होगा. केंद्र सरकार इसके बारे में संसद बिल लाएगी. केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम अब विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) 'VB-G RAM G' करने का बिल लाएगी. सरकार ने साथ ही इस योजना में सलाना रोजगार मिलने के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का ऐलान कर सकती है. 

यह भी पढ़ें, मनरेगा पर बड़ा फैसला, 100 नहीं 125 दिन रोजगार गारंटी, न्यूनतम मजदूरी में भी क्या होगा बदलाव?

संसद में बिल लाएगी सरकार 

गौरतलब है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त कर ग्रामीण रोजगार के लिए नया कानून लाने संबंधी एक विधेयक की प्रतियां लोकसभा के सदस्यों को बांटी गई हैं. विधेयक की प्रति के अनुसार इसका मकसद ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)' विधेयक, 2025' संसद में लाने और 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को निरस्त करने का प्रस्ताव है.

बिल में क्या-क्या 

इसमें कहा गया है कि विधेयक का उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ‘‘ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है, जिसके तहत अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को हर वित्त वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी आधारित रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी. इसका लक्ष्य सशक्तीकरण एवं विकास को बढ़ावा देकर समृद्ध और सक्षम ग्रामीण भारत का निर्माण करना है.


बिल में कई नए प्रस्ताव 

प्रस्तावित विधेयक के तहत अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वर्ष में 125 दिनों के मज़दूरी रोजगार की कानूनी गारंटी दी जाएगी. मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या कार्य पूरा होने के 15 दिनों के भीतर किया जाएगा. यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया गया तो बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी किया गया है. विधेयक के अनुसार कार्यों की योजना विकसित ग्राम पंचायत योजना से शुरू होकर ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर समेकित की जाएगी और इन्हें विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक से जोड़ा जाएगा. कार्यों को चार प्रमुख क्षेत्रों, जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका से जुड़ी अवसंरचना और आपदा-रोधी ढांचे में विभाजित किया गया है.

खेती बाड़ी के समय में (अधिकतम 60 दिन प्रतिवर्ष) इस योजना के तहत कार्य नहीं कराए जाएंगे, हालांकि प्राकृतिक आपदा या असाधारण परिस्थितियों में इसमें छूट दी जा सकेगी. पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, जियो-टैगिंग, डिजिटल एमआईएस डैशबोर्ड, साप्ताहिक सार्वजनिक खुलासे और सामाजिक अंकेक्षण को अनिवार्य किया गया है। शिकायत निवारण के लिए बहु-स्तरीय व्यवस्था और जिला स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति का भी प्रावधान है. यह एक केंद्र प्रायोजित योजना होगी. उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, अन्य राज्यों के लिए 60:40 और बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता का प्रावधान किया गया है. योजना पर अनुमानित वार्षिक व्यय ₹1.51 लाख करोड़ बताया गया है, जिसमें केंद्र का हिस्सा लगभग ₹95,692 करोड़ होगा.

बिल की प्रति मुहैया कराई गई

यह विधेयक लोकसभा सदस्यों को मुहैया कराया जा चुका है और इसके सदन में पेश किए जाने की संभावना है. संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हुआ था, जो 19 दिसंबर को समाप्त होगा.
 

Advertisement


 

Featured Video Of The Day
Shikhar Dhawan Exclusive: Secret Adoption से लेकर Love Story तक, Gabbar ने खोले अपनी ज़िंदगी के राज
Topics mentioned in this article