मेक्सिको ने बढ़ाए MFN आयात शुल्क, भारत ने की निपटने की तैयारी

नए प्रावधानों के तहत कुल 1,463 टैरिफ लाइनों में संशोधन किया गया है, जिससे भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया सहित कई देशों के निर्यात प्रभावित होंगे. संशोधित शुल्क 5% से 50% के बीच होंगे, और अधिकांश उत्पादों पर लगभग 35% शुल्क लगने की संभावना है.

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  • मेक्सिको सरकार ने गैर-FTA देशों के लिए MFN आयात शुल्क में व्यापक वृद्धि को मंजूरी दी है
  • संशोधित शुल्क 5% से 50% तक होंगे, अधिकांश उत्पादों पर लगभग 35% शुल्क लगने की संभावना जताई गई है
  • भारत सरकार ने इस निर्णय पर चिंता जताई है और इसे द्विपक्षीय सहयोग के खिलाफ माना है
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नई दिल्ली:

मेक्सिको सरकार ने अपने MFN (मोस्ट-फेवर्ड-नेशन) आयात शुल्क ढांचे में व्यापक बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. इससे उन देशों से होने वाले आयात प्रभावित होंगे जिनके साथ मेक्सिको का कोई मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है. यह प्रस्ताव पहले सितंबर 2025 में पेश किया गया था, लेकिन भारत समेत गैर‑FTA साझेदारों और मेक्सिकन उद्योग समूहों की आपत्तियों के बाद इसे अगस्त 2026 तक टाल दिया गया था. इसके बावजूद, मेक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने 3 दिसंबर 2025 को प्रस्ताव को दोबारा पेश कर दिया.

मेक्सिको सरकार का कहना है कि यह कदम स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने और व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए उठाया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय USMCA समीक्षा के दौरान अमेरिका के साथ चल रही वार्ताओं और चीन के खिलाफ शुल्क बढ़ाने तथा ट्रांस‑शिपमेंट रोकने के लिए अमेरिका के दबाव से भी जुड़ा हो सकता है.

1,463 टैरिफ लाइनों में बदलाव

नए प्रावधानों के तहत कुल 1,463 टैरिफ लाइनों में संशोधन किया गया है, जिससे भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया सहित कई देशों के निर्यात प्रभावित होंगे. संशोधित शुल्क 5% से 50% के बीच होंगे, और अधिकांश उत्पादों पर लगभग 35% शुल्क लगने की संभावना है. हालांकि, किन वस्तुओं पर यह लागू होगा, इसकी आधिकारिक सूची अभी जारी नहीं की गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय निर्यात पर वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि मेक्सिको की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला में भारतीय उत्पाद कितने महत्वपूर्ण हैं और भारतीय कंपनियाँ शुल्क का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने या छूट प्राप्त करने में कितनी सक्षम होंगी.

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने मेक्सिको के इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है. सरकार का कहना है कि MFN शुल्क में एकतरफा वृद्धि, बिना पूर्व परामर्श के, द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग की भावना और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की पारदर्शिता एवं पूर्वानुमेयता के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है.सरकार मेक्सिको के शुल्क संशोधनों के प्रभावों का अध्ययन कर रही है और सभी हितधारकों के साथ स्थिति पर नज़र बनाए हुए है.

कूटनीतिक पहल जारी

मेक्सिको स्थित भारतीय दूतावास ने मेक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्रालय के साथ यह मुद्दा उठाया और भारतीय निर्यातों को नए शुल्कों से बचाने के लिए विशेष रियायतों की मांग की. इसके अलावा, भारत का वाणिज्य विभाग भी मेक्सिको के साथ समाधान खोजने के लिए सक्रिय रूप से संवाद कर रहा है.इस संबंध में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल और मेक्सिको के उप‑अर्थमंत्री डॉ. लुइस रोसेन्दो के बीच उच्च‑स्तरीय बैठक हो चुकी है, और जल्द ही तकनीकी स्तर की आगे की बैठकों की उम्मीद है.

भारत ने सुरक्षित रखा विकल्प

भारत ने कहा है कि वह अपने निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है.  हालांकि प्राथमिकता संवाद के माध्यम से समाधान खोजने की है.भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मेक्सिको के साथ अपनी साझेदारी को महत्व देता है और दोनों देशों के लिए लाभकारी, स्थिर और संतुलित व्यापार वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सहयोग जारी रखेगा.

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