सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को DEEPFAKE के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के दिए निर्देश

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को बैठक में ये बताया गया कि उन्हें नियम उल्लंघन के मामलों में 36 घंटे के भीतर और डीपफेक से जुड़े मामलों में 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करनी होगी.

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संचार और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर.
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डीपफेक जैसे कंटेंट और मिसइन्फॉर्मेशन से सख्ती से निपटने के लिए संचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नए रेगुलेशन तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इसके एक दिन बाद राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को सोशल मीडिया कंपनियों को डीपफेक और मिसइन्फॉर्मेशन के खिलाफ सख्ती से क्रैकडाउन करने का निर्देश दिया है. सोशल मीडिया कंपनियों से कहा गया है डीपफेक जैसे कंटेंट और मिसइन्फॉर्मेशन को उनके प्लेटफार्म से जल्दी हटाना उनकी ज़िम्मेदारी है. सरकार ने एक विशेष अधिकारी भी नियुक्त करने का फैसला किया है, जो पीड़ित सोशल मीडिया यूजर को FIR दर्ज़ करने में मदद करेगा.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों से कहा है कि वो सात दिन के अंदर अपने टर्म्स ऑफ यूज को आईटी कानून और नियमों से सूचिबद्ध करें. मंत्रालय में सोशल मीडिया कंपनियों के साथ एक अहम बैठक के दौरान आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ये निर्देश जारी किया है.

राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा :-

  • आईटी कानून और नियमों का 100% अनुपालन होना चाहिए, उल्लंघन होने पर सरकार जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी अपनाएगी.
  • मौजूदा कानून और नियमों में डीपफेक सामग्री से सख्ती से निपटने के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं.
  • डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े दूसरे कंटेंट नियम 3 (1)(बी)(v) के तहत कवर होते हैं.
  • वो सरल भाषा में अपने प्लेटफार्म पर प्रकाशित करें कि डीपफेक प्रतिबंधित है.
  • एक सरकारी अधिकारी पीड़ित सोशल मीडिया यूज़र को FIR दर्ज करने में सहायता करेगा.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को बैठक में ये बताया गया कि नियम 3(1)(बी), 3(1)(डी) और आईटी नियमों के अन्य प्रावधानों के तहत उन्हें उल्लंघन के मामलों में 36 घंटे के भीतर और डीपफेक से जुड़े मामलों में 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करनी होगी. पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज कर सकता है और किसी भी समय उन्हें केस में पार्टी बना सकता है. पुलिस अधिकारी उनसे अतिरिक्त जानकारी भी मांग सकता है.

साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा, "मौजूदा 23 साल पुराने आईटी एक्ट कानून और आईटी नियमों की कमजोरियों और कमियों का दुरुपयोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक के तरह की सामग्री और गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा रहा है."

सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए नया कानून बनाना जरूरी
एनडीटीवी द्वारा पूछे जाने पर कि क्यों आईटी कानून और नियमों के बावजूद कुछ लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर डीपफेक सामग्री और गलत सूचना वायरल करने में कामयाब हो रहे हैं? पवन दुग्गल ने कहा, "क्योंकि मौजूदा कानूनों में खामियां हैं. इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेगुलेट करने के लिए नहीं बनाया गया था. आज देश में जो कानून हैं, उनमें कमियां हैं. इसलिए लोग इसका दुरुपयोग करके डीपफेक वीडियो और मिसइन्फॉर्मेशन फैला रहे हैं. डीपफेक के दुरुपयोग को दंडनीय अपराध बनाने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेगुलेट करने के लिए देश में एक नया कानून बनाना जरूरी होगा. देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग को रोकने के लिए नया कानून बनाकर सख्त प्रावधान शामिल करने होंगे. देश में जो मौजूदा नियम और कानून हैं वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग से निपटने के लिए बिल्कुल कारगर साबित नहीं होंगे. चीन दुनिया का पहला देश है, जिसने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कानून बनाया है. यूरोपीय यूनियन भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेगुलेट करने के लिए एक नया कानून बना रहा है, भारत को भी इस तरह के कानून के प्रारूप को स्टडी करके एक नया कानून का ढांचा तैयार करना होगा."

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जाहिर है, डीपफेक (Deepfake) और मिसइनफॉर्मेशन से निपटने की चुनौती बड़ी है और सरकार को इस बारे में सक्रियता से आगे पहल करनी होगी.

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