- महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी पर मीट की बिक्री रोकने के फैसले से राजनीतिक विवाद तेज हो गया है
- सत्ताधारी दल इसे सामाजिक आस्था और परंपरा से जोड़ते हैं जबकि विपक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है
- असदुद्दीन ओवैसी और सुप्रिया सुले ने मीट बैन को वोट बैंक की राजनीति और खान-पान की आज़ादी पर चोट बताया है
महाराष्ट्र में मीट बैन को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी जैसे मौकों पर मीट की बिक्री रोकने के ताजा फैसलों के बाद पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग तेज हो गई है. सत्ताधारी दल इसे परंपरा और सामाजिक आस्था से जोड़ रहा है, तो विपक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखल और वोट बैंक की राजनीति बता रहा है. हालांकि पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में मीट की बिक्री पर बैन लगाया गया है. कई बार मीट पर बैन लगे हैं. नवी मुंबई में 9 दिनों तक का भी बैन महाराष्ट्र में मीट पर लग चुका है.
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा, दाल चावल, श्रीखंड पूड़ी खाकर युद्ध नहीं लड़ा जाता. छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र दाल-चावल खाकर युद्ध नहीं लड़ते थे. वो मांस खाते थे. बाजीराव पेशवा भी मांस खाते थे.सीमा पर तैनात सेना को भी मांसाहार करना पड़ता है. आप महाराष्ट्र को शक्तिहीन बना रहे हैं? मांसाहारी भोजन ज़रूरी है। देवेंद्र फडणवीस,ये फतवे वापस लीजिए. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने ट्वीट में लिखा, स्वतंत्रता दिवस पर क्या खाना है और क्या नहीं, यह तय करने का अधिकार हमें है, कल्याण-डोंबिवली नगर आयुक्त को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और नागरिक ऐसे आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे. नागरिकों पर शाकाहार थोपने के बजाय, शहर की खस्ताहाल सड़कों और जर्जर नागरिक सुविधाओं की मरम्मत पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
सुप्रिया सुले ने उठाए सवाल
NCP शरद पवार गुट की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि तीस साल पहले की कमियों को कब तक आगे बढ़ाते रहोगे? खुद फैसला लो! और मुझे तो यह भी यकीन नहीं है कि 1995 में ऐसा कोई फैसला हुआ था. भाजपा के पास अपना कोई एजेंडा ही नहीं बचा, इसलिए पुरानी बातें दोहरा रही है.
खान-पान की आज़ादी पर हमला - असदुद्दीन ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह फैसला लोगों की खान-पान की आज़ादी पर हमला है. यह हिंदुस्तान है, यहां हर धर्म और समुदाय को अपनी पसंद के मुताबिक खाने का हक है.
एनडीए सरकार में शामिल अजित पवार ने भी इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार जनता की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देने के बजाय, फिजूल के मुद्दों में उलझी है. मीट बैन से आर्थिक रूप से कमजोर तबके के रोज़गार पर चोट पड़ती है.
महाराष्ट्र में कब-कब हुआ है मीट बैन
1964 (मुंबई) – 2 दिन का बैन, जैन पर्युषण के कारण, सरकार थी कांग्रेस की
1994 (मुंबई) – 3 दिन का बैन, जैन पर्युषण; सरकार थी कांग्रेस की
2004 (मुंबई व अन्य इलाके) – 4 दिन का बैन, जैन पर्युषण; कांग्रेस–NCP सरकार
2015 - मुंबई: 4 दिन का बैन, जैन पर्युषण; BJP सरकार, शिवसेना-नेतृत्व वाली BMC
मीरा-भायंदर: 8 दिन का बैन; BJP-नेतृत्व वाली MBMC
ठाणे: 4 दिन का बैन; शिवसेना-नेतृत्व वाली TMC
नवी मुंबई: 9 दिन का बैन; BJP-नेतृत्व वाली NMMC
2024 - मुंबई: 2 दिन का बैन, जैन पर्युषण; BJP सरकार
नागपुर: गांधी जयंती पर बैन; BJP सरकार
2025 - पंढरपुर: आषाढ़ी एकादशी पर बैन; BJP सरकार.