भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लिए पड़ोसी देश की आलोचना की और कहा कि उसके ‘‘घोर'' मानवाधिकार हनन के लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. पिछले कुछ दिनों में PoK में हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों के दौरान कम से कम 10 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारी मौलिक अधिकारों को बरकरार रखने, न्याय प्रदान करने तथा उत्पीड़न के खात्मे की मांग कर रहे हैं.
'पाकिस्तान के दमनकारी रवैया के कारण PoK में प्रदर्शन'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की खबरें देखी हैं, जिसमें निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई बर्बरता भी शामिल है.' उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि यह पाकिस्तान के दमनकारी रवैया और इन क्षेत्रों से संसाधनों की लूट का स्वाभाविक परिणाम है, जो उसके जबरन और अवैध कब्जे में हैं.'
'पीओके में मानवाधिकार का घोर हनन हो रहा है'
जायसवाल अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर बातें कही. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान को उसके घोर मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.' जायसवाल ने कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत का ‘‘अभिन्न अंग'' रहे हैं और रहेंगे.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी जताई चिंता
शुक्रवार को, पाकिस्तान सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों के एक समूह ने जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. जेएएसी और संघीय तथा पीओके सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता पिछले सप्ताह विफल हो गई. पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने कहा है कि वह पीओके में ‘‘जारी हिंसा से बेहद चिंतित'' है.
इसने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘हम अत्यधिक बल प्रयोग, नागरिकों और कानून प्रवर्तकों की मौतों, साथ ही संचार व्यवस्था ठप किये जाने की कड़ी निंदा करते हैं.'' आयोग ने कहा, ‘‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार को बरकरार रखा जाना चाहिए और शिकायतों का पारदर्शी तरीके से समाधान हो.''