पहले आकाश और अब उनके ससुर पर मायावती का एक्शन, BSP में चल क्या रहा है?

फर्रुखाबाद के रहने वाले अशोक सिद्धार्थ बीएसपी के पुराने नेता रहे हैं. उनके पिता बीएसपी संस्थापक कांशीराम के सहयोगी थे. उन्हें मायावती का करीबी माना जाता था.

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लखनऊ:

मायावती के ताज़ा फ़ैसले से सब हैरान हैं. पार्टी के अंदर तरह तरह की बातें शुरू हो गई हैं. किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा है. जितने लोग उतनी बातें. जो कल तक बहन जी की आंखों का तारा था. जिनके पास पार्टी में साउथ इंडिया की ज़िम्मेदारी थी. इस बार मायावती ने उन पर ही एक्शन ले लिया है. बीएसपी सुप्रीमों ने अपने ही परिवार के सदस्य को पार्टी से बाहर कर दिया है. उन्होंने अपने समधी अशोक सिद्धार्थ को बीएसपी से निष्कासित कर दिया है. सिद्धार्थ की बेटी की शादी मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई है. 

अशोक सिद्धार्थ के पास थी दक्षिण भारत की ज़िम्मेदारी 
अभी तीन दिनों पहले ही अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी हुई थी. ये विवाह आगरा में हुई. अशोक सिद्धार्थ के दामाद आकाश आनंद भी इस शादी में शामिल हुए. सब कुछ ठीक चल रहा था. अशोक की गिनती बीएसपी के ताकतवर नेताओं में होती थी. मायावती ने उन्हें दक्षिण भारत की ज़िम्मेदारी दी थी. कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र और ओडिशा तक पार्टी वही संभालते थे. लेकिन बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने गुटबाज़ी के आरोप में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया है. 

बूथ लेवल कार्यकर्ता के तौर पर अशोक सिद्धार्थ की हुई थी एंट्री
फर्रुखाबाद के रहने वाले अशोक सिद्धार्थ बीएसपी के पुराने नेता रहे हैं. उनके पिता बीएसपी संस्थापक कांशीराम के सहयोगी थे. सिद्धार्थ ने बूथ लेवल कार्यकर्ता से काम शुरू किया. फिर वे राज्यसभा के सांसद तक बने. इससे पहले वे कई बार मंडल कोऑर्डिनेटर बने. जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो उन्हें MLC बनाया था. अशोक सिद्धार्थ की पत्नी महिला आयोग में रही हैं. लेकिन उनका नाम तब सुर्खियों में आया जब मायावती ने उनकी बेटी का हाथ मांग लिया. 

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अशोक सिद्धार्थ पर क्यों हुई कार्रवाई? 
मायावती के भतीजे आकाश आनंद विदेश से पढ़ाई कर देश लौट चुके थे. वे धीरे धीरे राजनीति में भी सक्रिय हो गए थे. मायावती ने भाई आनंद के बेटे आकाश की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से तय कर दी. दिल्ली में ये विवाह हुआ. अब अशोक सिद्धार्थ मायावती के रिश्तेदार हो गए. बस यहीं से पार्टी के कई लोग उनके खिलाफ लग गए. राजस्थान से लेकर एमपी के चुनाव में उन्हें लगाया गया. दक्षिण भारत के राज्यों का काम उनके पास पहले से ही था. इसी दौरान आकाश आनंद को भी हरियाणा से लेकर राजस्थान के चुनाव का प्रभारी बनाया गया. पर नतीजे ख़राब रहे. 

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आकाश आनंद पर भी लोकसभा चुनाव के बीच ही हुई थी कार्रवाई
पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ही आकाश आनंद विवाद में आ गए. बीजेपी पर उनके तीखे हमले के बाद उन्हें मायावती ने प्रचार से हटा दिया. उनसे राजनीतिक उत्तराधिकारी वाली ज़िम्मेदारी भी मायावती ने छीन ली. कहा गया राजनीतिक रूप से आकाश परिपक्व नहीं है. पहले आकाश आनंद का पावर कम करना और अब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करना. क्या इन दोनों फैसलों का भी कोई कनेक्शन हैं!

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