मथुरा शाही ईदगाह मामला: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार को मिली पाकिस्तान से धमकी, जांच शुरू

इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाले वाद की पोषणीयता के संबंध में दायर याचिका पर अगली सुनवाई आज होगी. 

Advertisement
Read Time: 3 mins
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार को फोन पर मिली धमकी (प्रतीकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का मामला कोर्ट में है. हाईकोर्ट इस मामले में आज सुनवाई करने जा रहा है. इन सब के बीच खबर आ रही है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार को पाकिस्तान से धमकी भरा फोन आया है. मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्य पक्षकार आशुतोष पांडेय को उस समय धमकी दी गई जब वह हाईकोर्ट जा रहे थे. बीते कुछ दिनों में यह कोई पहला मामला नहीं है जब आशुतोष पांडेय को पाकिस्तान से फोन पर धमकी मिली हो. कुछ दिन पहले भी उन्हें ऐसी धमकियां मिली थी. पुलिस को इस मामले की जानकारी दे दी गई है. पुलिस फिलहाल इस कॉल की जांच करने में जुटी है. 

Advertisement

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाले वाद की पोषणीयता के संबंध में दायर याचिका पर अगली सुनवाई आज होगी. इस वाद में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है. सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दाखिल अर्जियों पर अपनी दलीलें पेश की. 

पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि वादी हिंदू पक्ष उस भूमि के मालिकाना अधिकार की मांग कर रहा है, जो 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन के बीच हुए समझौते का विषय था. वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने कहा कि दोनों पक्षों को विवादित भूमि का विभाजन होने के बाद एक दूसरे के क्षेत्र से दूर रहने की मांग की गई थी. ये मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) और लिमिटेशन अधिनियम द्वारा वर्जित है. वकील अहमदी ने सूट नंबर 6 में वादपत्र के पैराग्राफ 14 का जिक्र करते हुए कहा था कि यह 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन के बीच हुए समझौते को स्वीकार करता है.

Advertisement

मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि ये मुकदमा स्वीकार करता है कि 1669-70 में निर्माण के बाद विवादित संपत्ति पर शाही ईदगाह अस्तित्व में रही. मुस्लिम पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि अगर यह मान भी लिया जाए कि मस्जिद का निर्माण 1969 में समझौते के बाद किया गया था, तब भी, अब मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह लिमिटेशन एक्ट द्वारा वर्जित होगा. इसमें 50 साल से अधिक की देरी भी हो चुकी है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Mumbai के Mahalakshmi Race Course के अस्तित्व का संघर्ष क्या अब खत्म होगा?