सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि (Mathura krishna janmabhoomi)-शाही ईदगाह विवाद (Shahi Masjid Idgah Committee) के संबंध में दायर सिविल मुकदमों की डिटेल मांगी, जिन्हें समेकित करने और ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी लंबित मुकदमों को मथुरा कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर करने के 26 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सारे केसों की एक साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो तो बेहतर है." सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट रजिस्ट्रार से पूछा कि इस मामले में कौन- कौन सी याचिकाऐं एक साथ जोड़ी जानी हैं. अदालत ने तीन हफ्ते में ब्योरा मांगा है.
जस्टिस कौल ने कहा, "मामले की प्रकृति को देखते हुए, क्या यह बेहतर नहीं है कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई करे? जोर से सोचें, अगर इसकी कोशिश उच्च स्तर पर की जाती है. मामले की लंबितता अपनी ही बेचैनी का कारण बनती है."
शाही ईदगाह कमेटी (मुस्लिम पक्ष) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगाने की मांग की है. हालांकि, इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल कर चुके हैं. कैविएट में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर कोई आदेश पारित करने से पहले उनकी दलीलों को भी सुना जाए.
मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. ईदगाह कमेटी की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला तथ्यों और कानून के आधार पर सही नहीं है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट का फैसला, मुस्लिम पक्ष के अपील के वैधानिक अधिकार को खत्म कर देता है, क्योंकि यह मुकदमे के दो अपीलीय चरणों को खत्म कर रहा है.
26 मई को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की जिला जज की अदालत में चल रहे कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी याचिकाओं को खुद के पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर लिया था.
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