'कश्मीर के अनंतनाग में बना बड़ा सिंकहोल प्राकृतिक घटना, चिंता की बात नहीं': अधिकारी 

11 फरवरी को शाम करीब 4 बजे दक्षिण कश्मीर जिले के कोकरनाग इलाके के वांडेवलगाम में ट्राउट मछलियों के मशहूर ब्रेंगी नाला में अचानक एक सिंकहोल नबन गया और नदी की धारा का पूरा प्रवाह बाधित हो गया.

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श्रीनगर:

पिछले सप्ताह दक्षिणी कश्मीर (Jammu Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) जिले के वांडेवलगाम एरिया में ब्रेंगी नाला के अंदर बड़ा सिंकहोल (Sinkhole) बनने की घटना को अधिकारियों ने एक भूवैज्ञानिक घटना बताया है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बना सिंकहोल एक स्वाभाविक रूप से होने वाली भूवैज्ञानिक घटना है और इससे घबराने या चिंता करने की कोई बात नहीं है.

11 फरवरी को शाम करीब 4 बजे दक्षिण कश्मीर के अंतनगाग जिले के कोकरनाग इलाके के वांडेवलगाम में ट्राउट मछलियों के मशहूर ब्रेंगी नाला में अचानक एक सिंकहोल बन गया और नदी की धारा का पूरा प्रवाह बाधित हो गया.

अनंतनाग जिला प्रशासन ने तब कहा था कि घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत राहत और ऐहतियाती उपाय शुरू किए गए थे, घटना के वैज्ञानिक कारण और उससे निपटने के संभावित उपायों के प्रयास भी शुरू किए गए थे.

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अनंतनाग के उपायुक्त पीयूष सिंगला ने कहा, "सिंकहोल प्राकृतिक रूप से होने वाली भूवैज्ञानिक घटनाएं हैं और इससे कोई तत्काल खतरा नहीं है, यह जानते हुए भी सिंकहोल को तुरंत भरने और नदी की धारा को मोड़ने का तात्कालिक उपाय कर दिए गए थे." उन्होंने कहा कि घटना की वैज्ञानिक रूप से जांच कराने और यह सुनिश्चित कराने का भी निर्णय लिया गया कि तत्काल उठाए गए कदम वैज्ञानिक रूप से तर्कसंगत हैं और स्थितियों के प्रतिकूल नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि इसी तरह की घटना 27 साल पहले जिले में हुई थी और वही अचबल झरने का स्रोत था तब यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि किसी अन्य हिस्से में झरनों के अनायास ही सूखने से रोकने के लिए वर्तमान सिंकहोल की जांच की जाए.

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उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर, पृथ्वी विज्ञान विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय, मत्स्य विभाग और भूविज्ञान और खनन विभाग की चार तकनीकी टीमों ने घटनास्थल का दौरा किया और घटना को समझने के लिए प्रोटॉन प्रीसेशन मैग्नेटोमीटर (पीपीएम) का उपयोग करने सहित तकनीकी परीक्षण किए हैं.

उन्होंने कहा, "टीमों द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन के अनुसार, यह पता चला है कि एक सिंकहोल एक प्राकृतिक रूप से होने वाली भूवैज्ञानिक घटना है, जो चट्टानों के निर्माण के रासायनिक अपक्षय का परिणाम है. सिंकहोल के स्थल पर क्षेत्र में अंतर्निहित चट्टान का निर्माण घुलनशील चूना पत्थर (ट्राइसिक चूना पत्थर) से हुआ है. इसलिए लंबे समय तक घुलने से चट्टानों में गुहाएँ बन जाती हैं जो धीरे-धीरे या अचानक सिंकहोल में बदल सकती हैं."

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सिंगला ने कहा कि पीपीएम अध्ययनों के अनुसार, अंतर्निहित गुफा लगभग 100 मीटर लंबी डाउनस्ट्रीम है.

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