बिहार की सियासत में गहमागहमी को जो दौर शुरू हुआ है, उसके लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि जेडीयू और बीजेपी गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच चुका है. इस बीच खबर ये आ रही है कि एनडीए सरकार के बचने की संभावना बहुत कम है. दरअसल बीजेपी नेता मानते हैं कि नीतीश कुमार को बहुत लापरवाही से संभाला और उन्हें हल्के में लिया, उसी का नतीजा है कि आज ये नौबत आन पड़ी.
कल रात गृहमंत्री अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और जेपी नड्डा के नेतृत्व में तमाम बीजेपी के शीर्ष नेता नीतीश कुमार के संपर्क में थे ताकि इस स्थिति से उबरा जा सके और गठबंधन को बचाया जा सके. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि सभी क्षेत्रीय पार्टियों की का सफाया हो जाएगा. इससे नीतीश वास्तव में नाराज़ हो गए. इसकी झलक राज्य इकाई के अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के बयान की कल की टिप्पणी में दिखती है. वहीं अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा भी कभी भी नीतीश को सदन के अंदर या बाहर अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.
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बिहार इकाई के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भी नीतीश को निशाना बनाने की आदत बना ली, जो गाली-गलौज करते थे. जब पार्टी नेतृत्व पर शायद ही किसी नियंत्रण के साथ नीतीश की आलोचना करने की बात हो तो सभी स्वतंत्र थे. यहां तक कि दो डीसीएम भी अप्रभावी थे. आरसीपी सिंह को बढ़ावा देने में भाजपा नेतृत्व की भूमिका कुछ ऐसी थी जिसे नीतीश ने कभी माफ नहीं किया. नीतीश के विधायकों के अलग होने की पेशकश की कुछ ऑडियो क्लिप हैं. जिसने इस गठबंधन के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है.
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