भगदड़ के एक दिन बाद महाकुंभ में क्या-क्या हुआ? कितनी हुई सख्ती, क्या बदला; समझिए

Mahakumbh News : उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले में मची भगदड़ के बाद पांच मुख्य बदलाव किए हैं. महाकुंभ नगर को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है, यानि किसी भी तरह के वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. महाकुंभ मेला क्षेत्र में सभी प्रकार के वाहनों को सख्त वर्जित कर दिया गया है और पूरी तरह से नो-व्हीकल जोन में तब्दील कर दिया गया है.

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प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार की सुबह मौनी अमावस्या के स्नान के लिए उमड़ी भीड़ में मची भगदड़ की घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य जख्मी हो गए थे. CM योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था. भगदड़ की घटना के एक दिन बाद प्रदेश सरकार ने भीड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास और तेज कर दिए हैं. बृहस्पतिवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का मेला क्षेत्र में आना जारी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले में मची भगदड़ के बाद पांच मुख्य बदलाव किए हैं. महाकुंभ नगर को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है, यानि किसी भी तरह के वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. महाकुंभ मेला क्षेत्र में सभी प्रकार के वाहनों को सख्त वर्जित कर दिया गया है और पूरी तरह से नो-व्हीकल जोन में तब्दील कर दिया गया है.

महाकुंभ में भगदड़ के बाद मुख्य बदलाव

  • मेला क्षेत्र में वीवीआईपी पास को रद्द कर दिया गया है. किसी भी स्पेशल पास वाहनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी.
  • श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुचारू बनाने के लिए एकतरफा यातायात व्यवस्था लागू की गई है.
  • शहर में भीड़भाड़ को कम करने के लिए पड़ोसी जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमाओं पर ही रोका जा रहा है.
  • व्यवस्था बनाए रखने के लिए 4 फरवरी तक शहर में चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
  • इन पांच बदलावों के अलावा मेला क्षेत्र में भीड़ को अच्छे से मैनेज करने के लिए आईएएस अधिकारी आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को तत्काल प्रयागराज पहुंचने का निर्देश दिया गया है. दोनों नौकरशाहों ने विजय किरण के साथ 2019 अर्धकुंभ के सफल प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस आयोजन के दौरान भानु गोस्वामी ने जिला मजिस्ट्रेट और कुंभ मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जबकि आशीष गोयल प्रयागराज के आयुक्त थे, जो प्रबंधन की देखरेख करते थे.

हाई लेवल मीटिंग में लिए गए कई फैसले

मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के महाकुंभ में भगदड़ हो गई थी. इस हादसे में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है. प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि बैरिकेडिंग टूटने से भगदड़ हुई थी. मौनी अमावस्या को हुई इस घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के घर पर सीनियर अफ़सरों की मीटिंग हुई. व्यवस्था को फ़ुलप्रूफ बनाने पर मंथन हुआ. महाकुंभ में भगदड़ कैसे हुई? इसके लिए योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

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न्यायिक आयोग का दौरा आज

रिटायर्ड जस्टिस हर्ष कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यों का जाच आयोग बना है. आयोग आज यानी 31 जनवरी को प्रयागराज का दौरा करेगा. सरकार के आदेश के चौबीस घंटे में ही न्यायिक आयोग ने काम शुरू कर दिया है. आयोग के बाकी दो सदस्य वी के गुप्ता और डी के सिंह हैं. गुप्ता यूपी के डीजी होमगार्ड रह चुके है. सिंह रिटायर आईएएस अधिकारी हैं. आयोग के तीनों सदस्य आज लखनऊ में जनपद वाले अपने ऑफिस पहुंचे. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति हर्ष कुमार ने बताया कि क्योंकि जांच को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना है. इसलिए हमने घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर कार्यभार संभाल लिया है. उन्होंने कहा कि हमारे पास एक महीने का समय है, लेकिन फिर भी हम जांच को तेजी से पूरा करने की कोशिश करेंगे.

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महाकुंभ में भगदड़ मामले में SC में याचिका दायर

महाकुंभ में सबसे बड़ा पर्व मौनी अमावस्या का माना जाता है. इस दिन अखाड़े के साधु संतों के साथ श्रद्धालु भी स्नान करते हैं. यूपी सरकार का दावा है कि उस दिन करीब आठ करोड़ लोगों ने स्नान किया था.महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में प्रयागराजमहाकुंभ में हुई भगदड पर स्टेटस रिपोर्ट और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी यह जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में सभी राज्यों द्वारा कुंभ मेला क्षेत्र में सुविधा सेंटर खोलने की मांग की गई है जिससे गैर हिन्दी भाषी लोगों को सुविधा मिल सके. 

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मौनी अमावस्या... उस रात क्या हुआ था? प्वाइंटर्स में समझिए

  • मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर संगम नोज पर अमृत स्नान करने की प्रबल इच्छा लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. हर कोई इस पवित्र क्षण का भागीदार बनना चाहता था. इसके चलते वहां अप्रत्याशित भीड़ जमा हो गई.
  • जो श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन ही स्नान करने के लिए पहुंचे थे, उन्होंने बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर डेरा जमा लिया था. प्रशासन ने विभिन्न अखाड़ों के लिए सुबह 5 बजे से शुरू होने वाले अमृत स्नान के लिए अलग से रास्ता आरक्षित किया था.
  • रात लगभग 1 बजे... स्नान के लिए जाने वाले रास्ते पर भीड़ अपनी क्षमता से अधिक हो गई. पुलिस और प्रशासन योजना के अनुसार बैरिकेडिंग से लोगों को घाट तक ले जाने और वापस लाने की व्यवस्था कर रहे थे. हालांकि, अप्रत्याशित भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई.
  • लगभग 1:45 बजे लोग अनियंत्रित होकर बैरिकेडिंग कूदकर संगम की ओर जाने लगे. इस भगदड़ में बैरिकेडिंग कूदने वाले लोग उन परिवारों पर गिर पड़े जो वहां सो रहे थे. इसके बाद भीड़ ने अचानक लोगों को रौंदना शुरू कर दिया, जिससे कई लोग घायल हो गए. तीर्थयात्रियों के पहुंचने से मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए.
  • लोगों के कुचलने से कई महिलाएं बेहोश हो गईं और जैसे ही वे जमीन पर गिरीं, भगदड़ मच गई. घायलों को तुरंत महाकुंभ मेला क्षेत्र के पास के अस्पताल में भेजा गया, जबकि कुछ गंभीर रूप से घायल महिलाओं को इलाज के लिए बेली अस्पताल और स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज भेजा गया.
  • महाकुंभ में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए डायवर्जन योजना लागू की गई और श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया. श्रद्धालुओं के समूहों को शहर के बाहरी हिस्से में रोक दिया गया.
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