मुंबई में सैकड़ों की तादाद में कोरोना की चपेट में आए रेजिडेंट डॉक्टर, दूसरे साथियों पर दबाव बढ़ा

बड़े पैमाने में शहर के रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए और इसका असर यह हुआ कि अस्पताल अब कम डॉक्टरों के साथ काम कर रहे हैं.

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संक्रमित होने के साथ ही कोरोना का असर रेजिडेंट डॉक्टरों की पढ़ाई पर भी पड़ा है

मुंबई:

मुंबई (Mumbai) में बढ़ रहे (Coronavirus) संक्रमण का असर लोगों के साथ यहां के रेजिडेंट डॉक्टरों (Residents Doctors) पर भी पड़ा है. बड़े पैमाने में शहर के रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए और इसका असर यह हुआ कि अस्पताल अब कम डॉक्टरों के साथ काम कर रहे हैं. मुंबई के केईएम अस्पताल के सेकेंड ईयर में पढ़ने वालीं जूनियर रेजिडेंट संचारी पाल गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं. नीट कॉउंसलिंग में देरी के वजह से पहले ही अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी है और ऊपर से कोरोना संक्रमण ने संचारी की परेशानी बढ़ा दी. इनके डिपार्टमेंट में कुल 6 डॉक्टर मरीजों की देखभाल करते थे, लेकिन उनमें से 3 कोरोना संक्रमित हो गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि संक्रमित डॉक्टरों की ज़िम्मेदारी भी इनपर आ गई.

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संचारी पाल कहती हैं, 'एक पूरा यूनिट सिर्फ 3 ही डॉक्टरों से चल रहा था. तीनों डॉक्टर 24 घंटे इमरजेंसी चला रहे थे, पोस्ट एडमिशन और बाकी काम भी कर रहे थे. 5-6 घंटे तो छोड़िए, 1-2 घंटे आराम का समय नहीं मिलता था. क्योंकि हम मरीज़ को बिठाए नहीं रख सकते थे. चाहे कितने भी थके रहो, वही इंसान काम करता था.' 1 जनवरी से अबतक, मुंबई के अस्पतालों की बात करें तो जेजे अस्पताल में 134 रेजिडेंट डॉक्टर, सायन अस्पताल में 126 रेजिडेंट डॉक्टर, केईएम अस्पताल में 125 रेजिडेंट डॉक्टर, नायर अस्पताल में 115 रेजिडेंट डॉक्टर, RGMC ठाणे अस्पताल में 16, कूपर अस्पताल और HBTMC में 7-7 रेजिडेंट डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं.

महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर यानी मार्ड के अध्यक्ष सचिन पत्तिवार खुद संक्रमित थे और शनिवार के दिन ही दोबारा लौटे हैं. यह बताते हैं कि रेजिडेंट डॉक्टर तो संक्रमित हो ही रहे हैं, इसका असर मरीजों के उपचार पर भी पड़ रहा है.सचिन पत्तिवार कहते हैं, 'इमरजेंसी सर्विस जैसे कोविड ICU, Casualty, यह सब तो चल रहे थे, लेकिन जो नॉन इमरजेंसी सर्विस हैं जिसमें हर्निया से लेकर कैंसर का इलाज शामिल है, उसे 15-20 दिन से लेकर 1 महीने तक आगे बढ़ा दिया गया है क्योंकि डॉक्टर ही नहीं हैं.' रेजिडेंट डॉक्टरों के ज़्यादा संक्रमित होने की एक वजह उनके होस्टल भी हैं. एक ही होस्टल में स्वस्थ और संक्रमित डॉक्टर रह रहे हैं और इसके वजह से भी मामले बढ़े हैं.

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केईएम अस्‍पताल की रेजिडेंट डॉक्टर संचारी पाल कहती हैं, 'अगर मैं पॉजिटिव हूं और अगर आप चाहते हैं कि दूसरे को ना फैले, तो इसके लिए एक ही उपाय है कि आप मुझे अच्छे से क्वारंटाइन करें. होस्टल में यह संभव नहीं है. एक ही रूम में दो से 3 डॉक्टर हैं. अगर संक्रमितों को अलग भी किया जा रहा है तो सभी एक ही वॉशरूम का इस्तेमाल कर रहे हैं और वहां से यह फैल सकता है.'

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संक्रमित होने के साथ ही कोरोना का असर इन रेजिडेंट डॉक्टरों की पढ़ाई पर भी पड़ा है. रेजिडेंट डॉक्टर अक्सर अस्पतालों में काम कर अलग अलग सर्जरी और किस तरह इलाज किया जाता है, उसका अनुभव लेते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से यह केवल कोरोना वार्ड में काम कर रहे हैं और दूसरी बीमारियों से जुड़े अनुभव यह नहीं ले पा रहे हैं.

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