मणिपुर हिंसा : 'महिलाओं की कराई गई परेड, पुलिस ने ही किया भीड़ के हवाले' - CBI की चार्जशीट में दावा

Manipur Violence: पीड़ित महिलाओं में एक कारगिल युद्ध लड़ चुके सैनिक की पत्नी थी. उन्होंने  पुलिस कर्मियों से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की गुहार लगाई थी. पुलिसवालों ने महिलाओं को कहा कि उनके पास गाड़ी की चाबी नहीं है. पुलिस ने महिलाओं की कोई मदद नहीं की.

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मणिपुर में मैतई आरक्षण विवाद को लेकर 3 मई 2023 को जातीय हिंसा भड़की थी.
इंफाल:

देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले साल हुई जातीय हिंसा के दौरान दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया था. इस वारदात का वीडियो वायरल होने पर सरकार ने मामले की जांच CBI को सौंपी थी. अब CBI ने इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. चार्जशीट में दावा किया गया है कि मणिपुर पुलिस के अधिकारी इन महिलाओं को 1000 लोगों की भीड़ के बीच लेकर पहुंचे थे.

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, CBI ने इस मामले में चार्जशीट बीते साल अक्टूबर में फाइल की थी. लेकिन 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने के दो दिन पहले ये चार्जशीट चर्चा में आई है. CBI ने बीते साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी स्थित स्पेशल CBI जज के सामने इस मामले में 6 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. CBI ने बताया कि इन महिलाओं ने पुलिस की गाड़ी में शरण मांगी थी. लेकिन, पुलिस ने दोनों महिलाओं को भीड़ के बीच छोड़ दिया. इसके बाद महिलाओं का पहले यौन उत्पीड़न हुआ. फिर उन्हें बिना कपड़ों को गांव में घुमाया गया. 

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चार्जशीट में केंद्रीय एजेंसी ने यह भी कहा है कि भीड़ ने उसी परिवार की तीसरी महिला पर हमला किया था. उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वो बच निकली. तीसरी महिला भीड़ के चंगुल से भागने में सफल रही. जांच एजेंसी ने चार्जशीट में कहा कि तीनों महिलाओं ने मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों से मदद मांगी थी, लेकिन उन्हें भीड़ की दया पर छोड़ दिया गया था.

भारी हथियारों से लैस थी भीड़
न्यूज एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित महिलाओं में एक कारगिल युद्ध लड़ चुके सैनिक की पत्नी थी. उन्होंने  पुलिस कर्मियों से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की गुहार लगाई थी. पुलिसवालों ने महिलाओं को कहा कि उनके पास गाड़ी की चाबी नहीं है. पुलिस ने महिलाओं की कोई मदद नहीं की.

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CBI ने अपनी चार्जशीट में कहा कि 900 से 1000 लोगों की भीड़ के चंगुल से महिलाएं भागने की कोशिश कर रही थीं. भीड़ में ज्यादातर लोगों के पास AK राइफल्स, SLR, इन्सास और .303 राइफल्स भी थीं. भीड़ ने कथित तौर पर कांगपोकपी जिले में ज्यादातर घरों में तोड़फोड़ करने के बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया था.


मदद के लिए पुलिस वैन के अंदर घुसी थी महिलाएं
चार्जशीट में कहा गया कि भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किमी दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उन महिलाओं के घर में जबरदस्ती घुस गई थी. भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया. अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़ी पुलिस की गाड़ी के पास जाने के लिए कहा. दोनों महिलाएं पुलिस वैन में घुसने में कामयाब हो गईं. इसमें दो पुलिसकर्मी और चालक पहले से बैठे हुए थे. जबकि तीन-चार पुलिसकर्मी गाड़ी के बाहर खड़े थे.

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पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी गाड़ी के अंदर जाने में कामयाब रहा. वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए विनती करता रहा, लेकिन उसे भी बताया गया कि ‘चाबी' नहीं है. पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था. CBI का आरोप है कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की.

चालक ने गाड़ी भीड़ के सामने रोकी
बाद में, पुलिस वैन के चालक ने गाड़ी को करीब 1,000 लोगों की भीड़ के सामने रोक दिया. पुलिसकर्मी पीड़ितों को हिंसक भीड़ के हवाले कर वहां से चले गए. चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाइयों ने महिलाओं को बाहर खींच लिया और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया.

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चार्जशीट में इन आरोपियों के नाम
CBI ने हुइरेम हेरोदास मैतेई और 5 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. एक किशोर के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है. मणिपुर पुलिस ने हेरोदास को जुलाई में गिरफ्तार किया था. CBI ने कहा है कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. इनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं.
 

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