मणिपुर : पूर्वी इंफाल में सेना के जवानों पर गोलीबारी, अन्य स्थानों में पटरी पर लौट रहा है जनजीवन

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अस्थायी शिविरों में शरण लिए लोग भी अब अपने-अपने घर लौटने लगे हैं. पिछले सप्ताह मणिपुर में हुई हिंसा में कम से कम 60 लोग मारे गए थे और 30,000 से अधिक बेघर हो गए थे.

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इंफाल: मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले में अज्ञात उग्रवादियों ने बुधवार को गोलीबारी की जिसमें असम राइफल्स का एक जवान घायल हो गया जबकि हिंसा प्रभावित राज्य में कई स्थानों में जनजीवन फिर से पटरी पर लौट रहा है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, चूराचांदपुर और जिरिबाम सहित 11 प्रभावित जिलों में बुधवार को सुबह पांच बजे से छह घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई. मंगलवार को इन जिलों में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई थी.

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अस्थायी शिविरों में शरण लिए लोग भी अब अपने-अपने घर लौटने लगे हैं. पिछले सप्ताह मणिपुर में हुई हिंसा में कम से कम 60 लोग मारे गए थे और 30,000 से अधिक बेघर हो गए थे. मणिपुर के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपम रंजन सिंह ने बताया कि विस्थापित हुए 30,000 लोगों में से 26,000 को हिंसा प्रभावित जिलों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है, जबकि 4,000 लोगों ने अपने घरों के पास बनाए गए राहत शिविरों में शरण ली है.

अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय सेना और असम राइफल्स के कुल 128 ‘कॉलम' या करीब 10,000 सैनिकों ने प्रभावित क्षेत्रों में फ्लैग मार्च बुधवार को भी जारी रखा और मानवरहित विमानों (यूएवी) की मदद से चौबीसों घंटे हवाई निगरानी की. सेना की स्पीयर कोर ने कहा कि पूर्वी इंफाल जिले के डोलाईथाबी इलाके में पूर्वाह्न 11 बजे अज्ञात आतंकवादियों ने इलाके में सैनिकों पर गोलीबारी की.

सेना की स्पीयर कोर ने ट्वीट किया, ‘‘ कुछ गोलियां चलाने के बाद बदमाश भाग गए. गोली लगने से असम राइफल्स का एक जवान घायल हो गया. फिलहाल घायल जवान का इलाज चल रहा है. '' मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हुई जातीय हिंसा में कई उग्रवादी संगठनों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है.

रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी ने एक बयान जारी कर कहा, “भारतीय सेना ने असम राइफल्स के साथ मिलकर सुरक्षा ढांचे को महत्वपूर्ण रूप से फिर से आकार दिया है और मणिपुर में, विशेष रूप से मौजूदा सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में कई संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है, जिसके चलते स्थिति अब सामान्य होती दिखाई देने लगी है और लोग अब अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. फंसे हुए लोगों को अपनों से मिलाने का काम भी शुरू हो गया है.”

बयान में कहा गया है, “भारतीय सेना न केवल भीतरी इलाकों में, बल्कि भारत-म्यांमा सीमा पर स्थित क्षेत्रों में भी निगरानी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. मानवरहित विमानों के माध्यम से चौबीसों घंटे निगरानी, ​​भारतीय वायुसेना और सेना के एमआई 17 व चीता हेलीकाप्टरों की तैनाती तथा जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों में विश्वास बहाली के लिए पैदल गश्त और फ्लैग मार्च का सहारा लिया जा रहा है.”

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बयान में सेना ने लोगों से यह भी आग्रह किया है कि वे ‘गलत व्याख्या या तथ्यों की गलतबयानी के जरिये सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के दुर्भावनापूर्ण प्रयासों' के झांसे में न आएं, क्योंकि ‘विरोधी तत्व एक बार फिर दुर्भावनापूर्ण असत्यापित सामग्री के प्रसार का प्रयास कर सकते हैं.'

सेना ने कहा है, “चूंकि, मणिपुर में समुदायों के बीच धीरे-धीरे शांति और सद्भाव बहाल होता दिखाई दे रहा है, ऐसे में दुश्मन तत्व एक बार फिर दुर्भावनापूर्ण असत्यापित सामग्री फैलाने का प्रयास कर सकते हैं. भारतीय सेना और असम राइफल्स जल्द से जल्द पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम सभी से अनुरोध करते हैं कि गलत व्याख्या या तथ्यों की गलतबयानी के जरिये क्षेत्र में सद्भाव को बिगाड़ने के किसी भी दुर्भावनापूर्ण प्रयास को कामयाब न होने दें.”

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इस बीच, असम राइफल्स ने कहा कि बल ने नगालैंड के 1,229 लोगों को निकाला है, जो मणिपुर में फंसे हुए थे. इनमें थौबल जिले के यारीपोक की 47 कोन्याक जनजाति की महिलाएं शामिल हैं, जो वहां एक फैक्ट्री में काम करती थीं. असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक मेजर जनरल विकास लखेरा ने कोहिमा में कहा कि नगालैंड के अधिकांश फंसे हुए लोगों को बचा लिया गया है.

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