सुरक्षाबलों ने रविवार को मणिपुर के इथम गांव में महिलाओं के नेतृत्व में जुटे 1,200 से अधिक लोगों की भीड़ के साथ घंटों गतिरोध के बाद 12 हथियारबंद उपद्रवियों को रिहा कर दिया. एक बयान में सुरक्षाबलों की ओर से कहा गया कि लगभग एक दिन तक चले गतिरोध को खत्म करने के लिए और नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालने का फैसला लेते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया.
सुरक्षाबलों ने हालात और खराब ना हो, इसलिए हथियारबंद कैडर को स्थानीय लोकल लीडर के हवाले किया. अगर भीड़ में शामिल महिला और पुरूष के खिलाफ सुरक्षाबल कोई भी कार्रवाई करते तो हालात बेकाबू होने की उम्मीद थी. उनके खिलाफ कार्रवाई करने से दोनों ओर से नुकसान होने का अंदेशा था. सुरक्षाबलों के लोकल कमांडर ने यह फैसला काफी सोच समझकर किया, ताकि वहां के हालात को कंट्रोल किया जा सके. कैडर के हथियार और गोला बारूद ले लिए गए और उनको लोकल लीडर को सौंपा गया.
सुरक्षाबलों ने कहा, "महिलाओं के नेतृत्व वाली गुस्साई भीड़ के खिलाफ कार्रवाई की संवेदनशीलता और इस तरह की कार्रवाई के कारण होने वाले संभावित परिणाम को ध्यान में रखते हुए, सभी 12 हथियारबंदों को स्थानीय नेता को सौंपने का एक समझदारी वाला फैसला लिया गया."
सुरक्षाबलों ने 'परिपक्व निर्णय' लेने के लिए ऑपरेशन के प्रभारी कमांडर की सराहना भी की, जिसने 'भारतीय सेना का मानवीय चेहरा' दिखाया.
दरअसल मणिपुर के इंफाल के पूर्वी जिला के इतहम्म गांव में ये ऑपेरशन किया गया था. सुरक्षाबलों ने पक्की खुफिया जानकारी मिलने पर इतहम्म गांव में 24 जून की सुबह ऑपेरशन शुरू किया. तलाशी अभियान से पहले पूरे एरिया को कार्डोंन ऑफ कर दिया गया था, ताकि लोकल लोगों को कोई परेशानी ना हो.
इस ऑपरेशन के दौरान 12 केवाईकेएल के कैडर हथियार और गोला बारूद के साथ पकड़े गए. स्वघोषित लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरंगथेम ताम्बा उर्फ उत्तम की पहचान की गई. वह 2015 में हुए डोगरा के 6ठी बटालियन के हमले का जिम्मेदार था. पकड़े गए 12 लोगों में वह भी शामिल था.
जब एरिया में ऑपेरशन शुरू हुआ तो बड़ी तादाद में 1,200 से 1,500 स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों को घेर लिया. हालात की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षाबलों ने 12 कैडर को लोकल लीडर को सौंप दिया, ताकि कहीं कोई नुकसान ना हो. सेना ने लोगों से अपील की है कि वो सुरक्षाबलों की मदद करें, ताकि शांति व्यवस्था फिर से कायम हो सके.
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