Manikrao Kokate Flat Scam: रिवॉल्वर लाइसेंस ने खोल दी 'गरीब' विधायक की पोल, जानें 25 एकड़ के मालिक ने कैसे हड़पे EWS फ्लैट

यह घोटाला 1989-1994 के बीच नासिक के पॉश कॉलेज रोड इलाके में किया गया था. कोकाटे बंधुओं ने मुख्यमंत्री के 10% कोटे के तहत फ्लैट पाने के लिए खुद को 'आर्थिक रूप से कमजोर' (EWS) बताया और शपथ पत्र दिया कि उनकी सालाना आय 30,000 रुपये से कम है. पढ़ें नासिक से प्रांजल कुलकर्णी की रिपोर्ट.

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25 एकड़ जमीन और चीनी मिल की कमाई, फिर भी बने 'गरीब'; विधायक माणिकराव कोकाटे के फ्लैट घोटाले की पूरी कहानी
NDTV Reporter

Maharashtra News: महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब NCP (अजित पवार गुट) के विधायक माणिकराव कोकाटे (Manikrao Kokate) और उनके भाई विजय कोकाटे (Vijay Kokate) पर लगे फ्लैट घोटाले (Flat Scam) के आरोप कोर्ट में सच साबित हुए. खुद को आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) बताकर सरकारी फ्लैट (Govt Flat) हड़पने की यह स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

क्या है पूरा मामला?

नाशिक के सबसे पॉश इलाके कॉलेज रोड स्थित निर्माण व्यू अपार्टमेंट (Nirman View Apartment) में चार फ्लैट हथियाने का यह खेल साल 1989 से 1994 के बीच खेला गया. कोकाटे बंधुओं ने मुख्यमंत्री के 10% कोटे का फायदा उठाने के लिए खुद को अत्यंत गरीब और भूमिहीन बताया था. इस मामले में 13 अक्टूबर 1995 को सरकारवाडा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसकी कानूनी लड़ाई अब अंजाम तक पहुंची है.

3 बड़े सबूत, जिनसे हुआ झूठ का पर्दाफाश

1. रिवॉल्वर लाइसेंस बनाम EWS सर्टिफिकेट

कोकाटे के 'गरीब' होने के दावे की पोल उनके ही एक पुराने आवेदन ने खोल दी. 1994 में माणिकराव कोकाटे ने रिवॉल्वर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. उस आवेदन में उन्होंने शान से लिखा था, 'मेरे पास 40 से 50 मजदूर काम करते हैं और मैं हर हफ्ते उन्हें 9 से 10 हजार रुपये वेतन देता हूं.' जज ने इस पर कड़ी टिप्पणी की कि जो व्यक्ति हर हफ्ते हजारों रुपये वेतन बांट रहा है, वह साल भर में 30 हजार रुपये से कम कमाने वाला 'गरीब' कैसे हो सकता है?

2. 25 एकड़ जमीन और चीनी मिल की सदस्यता

जांच में सामने आया कि कोकाटे परिवार के पास सोमठाणे गांव में 25 एकड़ उपजाऊ उपजाऊ खेती है. इतना ही नहीं, कोकाटे बंधु कोपरगांव सहकारी चीनी कारखाने के सदस्य भी थे और वहां गन्ना सप्लाई कर हर साल लाखों रुपये की कमाई कर रहे थे. एक संपन्न किसान होने के बावजूद उन्होंने शपथ पत्र में खुद को भूमिहीन बताया.

3. फर्जी दस्तावेज और भ्रामक हलफनामा

फ्लैट हासिल करने के लिए जमा किए गए इनकम सर्टिफिकेट, हलफनामे और अन्य सरकारी कागजात पूरी तरह से फर्जी पाए गए. कोर्ट ने माना कि यह महज एक गलती नहीं, बल्कि सरकार के साथ की गई सोची-समझी धोखाधड़ी थी.

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