मंगलयान का ग्राउंड स्‍टेशन से संपर्क टूटा, मिशन का भी हुआ अंत : ISRO

साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (एमओएम) पांच नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

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बेंगलुरु:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सोमवार को पुष्टि की, कि मंगलयान का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया है, यह फिर से प्राप्त नहीं किया जा सकता है. मंगलयान मिशन अब खत्म हो चुका है. इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने आठ साल पूरे होने के अवसर पर एमओएम को मनाने के लिए 27 सितंबर को आयोजित मार्स ऑर्बिटर मिशन और राष्ट्रीय बैठक पर एक अपडेट दिया.

यह भी चर्चा की गई कि एक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर के रूप में छह महीने के जीवन-काल के लिए डिज़ाइन किए जाने के बावजूद, एमओएम मंगल ग्रह पर और साथ ही सौर कोरोना पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणामों के साथ मंगल ग्रह की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा है. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2022 में एक लंबे ग्रहण के परिणामस्वरूप, ग्राउंड स्टेशन के साथ संचार खोने से पहले कहा.

गौरतलब है कि भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया था और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई थी, जिससे ये अटकलें तेज हो गई थीं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है.

साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन' (एमओएम) पांच नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

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