- लातूर जिले में एक बैंक रिकवरी एजेंट ने अपनी मौत का नाटक करते हुए एक व्यक्ति की हत्या की साजिश रची थी.
- गणेश चव्हाण ने एक करोड़ रुपये के टर्म इंश्योरेंस की राशि पाने के लिए कार में आग लगाकर हत्या की योजना बनाई थी.
- आरोपी ने नशे में लिफ्ट मांगने वाले गोविंद यादव को कार में बिठाकर ड्राइवर सीट पर आग लगाई और उसे जिंदा जलाया था.
Latur Car Fire Incident: महाराष्ट्र के लातूर जिले से रविवार को एक हैरान करने वाली घटना सामने आई थी. यहां एक कार जली हुई हालत में मिली, कार में एक शव भी था. पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि जली हुई हालत में मिली कार एक प्राइवेट बैंक का रिकवरी एजेंट चलाता था. जो कई घंटों से लापता था और उसका मोबाइल भी बंद था. इन सब परिस्थितियों में पहले यह माना गया कि रिकवरी एजेंट की कार में जलकर मौत हो गई. लेकिन बाद में इस सनसनीखेज मामले में ऐसा खुलासा हुआ जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया. दरअसल इस घटना के बाद जिस रिकवरी एजेंट की हत्या की बात की जा रही थी, वही इस पूरे मामले का शातिर आरोपी निकला.
एक करोड़ का टर्म इंश्योरेंस पाने के लिए रची साजिश
लातूर में हुई इस घटना में पहले ऐसा दिखाया गया था कि जली हुई कार में गणेश चव्हाण नामक व्यक्ति जलकर मर गया है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गणेश चव्हाण ने एक करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस ले रखा था. बीमा की राशि पाने के लिए उसने अपनी ही मौत का झूठा नाटक रचा था.
पुलिस हिसारत में आरोपी ने कबूला अपना जुर्म
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर, गणेश चव्हाण ने कबूल किया कि उसने एक करोड़ के टर्म इंश्योरेंस के पैसे हासिल करने के लिए अपनी हत्या का मनगढ़ंत नाटक रचा था. उसने लातूर के याकतपूर रोड, औसा से गोविंद यादव नामक व्यक्ति को कार में बिठाया, और फिर वानवडा पाटी के पास इस ज़िंदा व्यक्ति सहित कार को आग लगा दी.
लिफ्ट मांगने वाले को कार में जिंदा जलाया
बताया जा रहा है कि गोविंद यादव नशे में था, रास्ते में इसने आरोपी से लिफ्ट माँगी थी, उसे लिफ्ट देकर, ड्राइवर सीट पर बिठाकर आरोपी ने गाड़ी में आग लगा दी. जिससे यह लगे कि कार में जलकर उसकी मौत हो गई है, ये सब करने के बाद, वह सिंधुदुर्ग फरार हो गया था. हालांकि, वह पुलिस की गहन जांच से बच नहीं सका, पुलिस ने उसे सिंधुदुर्ग से हिरासत में ले लिया है.
लातूर एसपी ने खुलासे की दी सिलसिलेवार जानकारी
लातूर एसपी अमोल तांबे ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि औसा पुलिस स्टेशन की सीमा में, शनिवार देर रात लगभग 12:30 बजे, हमें वानवडा पाटी के पास एक कॉल आया था. हमें जानकारी मिली कि वानवडा टी-पॉइंट से वानवडा जाने वाली सड़क पर एक वाहन जल रहा है. यह सूचना मिलने पर, हमारे नाइट राउंड के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुँचे.
FSL, फिंगरप्रिंट सहित अन्य टीम ने शुरू की जांच
घटना की गंभीरता को तुरंत पहचानते हुए, सभी वरिष्ठ अधिकारी – नाइट राउंड के अधिकारी, एस.डी.पी.ओ., पी.आई., सी.बी. (स्थानीय अपराध शाखा) – अपनी टीमों के साथ मौके पर पहुँचे. फिर FSL (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की टीम, फिंगरप्रिंट टीम और फोटोग्राफर भी वहाँ आए. इसके बाद, हमने पूरे मामले की जाँच शुरू की.
गाड़ी के नंबर से गणेश चव्हाण का नाम आया सामने
वाहन के नंबर के आधार पर वाहन के मालिक का पता लगाया गया. मालिक की तलाश करने पर पता चला कि उसने वह वाहन अपने एक रिश्तेदार को इस्तेमाल के लिए दिया था. जब उस रिश्तेदार की तलाश की गई, जिसे गाड़ी इस्तेमाल के लिए दी गई थी, तो पता चला कि वह व्यक्ति गणेश चव्हाण नामक है. वह रात 10 बजे घर से गया था और वापस नहीं आया था, और उसका मोबाइल भी बंद था.
गणेश चव्हाण की जांच पर गर्लफ्रेंड का लिंक आया सामने
इसलिए, शुरू में यह धारणा बनी कि गाड़ी में मिला मृत व्यक्ति गणेश चव्हाण का ही होगा. इसके आधार पर, औसा पुलिस स्टेशन में तुरंत एक आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज कर जाँच शुरू की गई. हालांकि, बाहरी परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस को संदेह हुआ. इस संदेह के आधार पर, जब गणेश चव्हाण और उसकी अन्य सभी जानकारी खंगाली गई, तो यह पता चला कि उसका एक महिला के साथ संबंध था.
अपना नंबर बंद कर दूसरे नंबर से कर रहा था चैटिंग
जब हमने उस महिला से पूछताछ की, तो हमें यह पता चला कि यह घटना होने के बाद , गणेश चव्हाण उस महिला के साथ एक तीसरे नंबर का उपयोग करके मैसेज और चैट कर रहा था. हमारा संदेह पुख्ता होने पर, हमने उस नंबर का पीछा करना शुरू किया. पीछा करते-करते हमारी टीम कोल्हापुर और फिर कोल्हापुर से आगे सिंधुदुर्ग-विजयदुर्ग तक पहुँची.
फ्लैट का कर्ज चुकाने के लिए रची बीमा राशि पाने की साजिश
देर से ही सही, हमें वहाँ गणेश चव्हाण नामक व्यक्ति जीवित मिल गया. इससे हमारी पुष्टि हो गई कि गाड़ी में मिला कंकाल गणेश चव्हाण का नहीं, बल्कि किसी और का है. जब हमने गणेश चव्हाण को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उससे बारीकी से और गहन पूछताछ की, तो उसने यह कबूल किया कि उसने फ्लैट के कर्ज को चुकाने या खुद का लिया हुआ एक करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस का पैसा पाने के लिए यह साजिश रची थी.
ड्राइवर सीट पर बिठाकर लगा दी आग
उसने अपनी ही मौत का झूठा नाटक रचा था. यह नाटक करने के लिए, उसने तुलजापुर टी-पॉइंट, औसा से लिफ्ट मांगने वाले गोविंद यादव नामक व्यक्ति को लिफ्ट दी. उसे गाड़ी में ले जाकर ड्राइवर सीट पर बिठाया, सीट बेल्ट लगाया, और फिर गाड़ी में आग लगा दी. उसका इरादा था कि गोविंद यादव बाहर न निकल पाए और वह मर जाए.
मृतक की हाथ पर रख दिया था अपना कड़ा
उसने गोविंद यादव की हत्या की. हत्या करने के बाद, यह दर्शाने के लिए कि मरा हुआ व्यक्ति गणेश चव्हाण ही है, उसने अपने हाथ का कड़ा भी मृतक की सीट पर रख दिया. यह सब इसलिए किया गया ताकि पुलिस को भ्रमित किया जा सके और उसके परिवार को भी यही लगे कि गणेश चव्हाण की ही मौत हुई है.
इस तरह का बनावटी नाटक रचने की उसने कोशिश की थी. लेकिन पुलिस की जाँच में उसका यह झूठा नाटक बेनकाब हो गया है. औसा पुलिस और स्थानीय अपराध शाखा की टीम को इस जघन्य अपराध को उजागर करने और आरोपी को पकड़ने में सफलता मिली है.
पुलिस अब क्या कर रही जांच
इस संबंध में, आकस्मिक मृत्यु (AD) के जाँच अधिकारी ने स्वयं औसा पुलिस स्टेशन में गणेश चव्हाण के खिलाफ गोविंद यादव की हत्या के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है, और जाँच शुरू कर दी गई है. गणेश चव्हाण को हिरासत में ले लिया गया है. अब इस बात की आगे जाँच की जाएगी कि इस नाटक या साजिश को रचने में गणेश चव्हाण को किसी और ने मदद की थी या नहीं.
गोविंद की पहचान के लिए होगी डीएनए सैंपलिंग
साथ ही, डीएनए सैंपलिंग के आधार पर इस बात की पुष्टि की जाएगी कि मृत व्यक्ति वास्तव में गोविंद यादव ही था, और सभी सबूत जुटाए जाएंगे. लातूर पुलिस ने गणेश चव्हाण द्वारा रची गई इस साजिश को 24 घंटे के भीतर उजागर कर दिया है, और इस गंभीर अपराध को सुलझाने और आरोपी को पकड़ने में पुलिस को सफलता मिली है.
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