ममता बनर्जी एक बार फिर निर्विरोध चुनी गईं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष 

बनर्जी ने अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी नेताओं से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आग्रह किया और अंदरूनी कलह के खिलाफ चेतावनी दी.

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ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी की स्थापना की थी और तब से इसका नेतृत्व कर रही हैं. 
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) बुधवार को एक बार फिर निर्विरोध तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष चुनी गईं. बनर्जी ने अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी नेताओं से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आग्रह किया और अंदरूनी कलह के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि पार्टी नेता और कार्यकर्ता वादा करें कि वे आपस में नहीं लड़ेंगे. अंदरूनी कलह बर्दाश्त नहीं की जायेगी...पार्टी के भीतर गुटों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. तृणमूल में कोई अलग समूह नहीं है, पार्टी एक संयुक्त समूह है.''

उन्होंने कहा, ‘‘ बंगाल में अगले चुनाव में पार्टी को सभी 42 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा. हमें सभी को साथ लेकर चलना है.'' मुख्यमंत्री ने कहा कि तृणमूल, ‘‘संघर्ष'' का पर्याय है, जो उसने 1998 में इसके गठन के बाद से लगातार किया है. राज्य की सत्ताधारी पार्टी में कलह के संकेत देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था कि वह किसी और को नहीं केवल ममता बनर्जी को अपना नेता मानते हैं. उन्होंने कोविड​​-19 से निपटने के बारे में दिए गए कुछ सुझावों पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की भी आलोचना की थी.

अभिषेक, डायमंड हार्बर से लोकसभा सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे हैं. वह तेजी से पार्टी में अनौपचारिक रूप से दूसरे नंबर के नेता के तौर पर उभर रहे हैं, जो जाहिर तौर पर कुछ वरिष्ठ नेताओं को नागवार है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पांच साल के अंतराल के बाद अपने संगठनात्मक चुनाव कराए थे.

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पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी के अनुसार, बनर्जी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया, क्योंकि किसी अन्य नेता ने अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं की थी. संगठनात्मक चुनाव के निर्वाचन अधिकारी चटर्जी ने कहा, ‘‘ ममता बनर्जी के पक्ष में कुल 48 प्रस्तावकों और समर्थकों ने नामांकन दाखिल किया. चूंकि अध्यक्ष पद के लिए अन्य किसी ने नामांकन नहीं भरा था, ममता बनर्जी को फिर से निर्विरोध चुन लिया गया है.

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''ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी की स्थापना की थी और तब से वह इसका नेतृत्व कर रही हैं. वर्ष 2001 और 2006 के विधानसभा चुनाव में दो असफल प्रयासों के बाद, पार्टी 2011 वाम मोर्चे को मात देकर सत्ता में आई थी. पार्टी, राज्य विधानसभा की 294 सीटों में से 213 सीटें हासिल करने के बाद पिछले साल मई में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई थी.

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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