शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ केस की सुनवाई में वर्चुअली जुड़ींं ममता बनर्जी, चुनाव में जीत को दी है चुनौती

कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दिए गए एक पत्र में ममता बनर्जी ने इस मामले के पीछे दो कारणों को बताया है. इसके मुताबिक- न्यायमूर्ति कौशिक चंदा अतीत में बीजेपी से जुड़ी थीं. इसलिए पक्षपात की आशंका है.

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ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी के चुनाव के खिलाफ दायर किए गए केस की सुनवाई में वर्चुअली हिस्सा लिया
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी आज नंदीग्राम में भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के चुनाव को चुनौती देने वाली अपनी याचिका की सुनवाई वर्चुअली शामिल हुईं. दरअसल, बंगाल की  मुख्यमंत्री ने एक याचिका दायर कर न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को 'हितों के टकराव' के चलते मामले से बाहर करने की मांग की है. ममता बनर्जी की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि न्यायाधीश को अपने पद से हटना चाहिए क्योंकि हितों का टकराव का मामला है. ममता चाहती हैं कि इस मामले को दोबारा किसी और अदालत को सौंपा जाए.

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मुख्यमंत्री की ओर से उनके वकील द्वारा लिखे गए और 16 जून को कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दिए गए एक पत्र में ममता बनर्जी ने इस मामले के पीछे दो कारणों को बताया है. इसके मुताबिक- न्यायमूर्ति कौशिक चंदा अतीत में बीजेपी से जुड़ी थीं. इसलिए पक्षपात की आशंका है. केस में दूसरे पक्ष का व्यक्ति भी बीजेपी से ही है. ममता ने ये भी कहा कि वह पक्षपात की संभावना को अच्छे से समझती हैं. उन्होंने अप्रैल में भी कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंदा कि कंफर्मेशन पर आपत्ति जताई थी.

मुख्यमंत्री ने खत में ये लिखा कि इससे ऐसी स्थिति या धारणा पैदा होगी जिसमें माननीय न्यायाधीश फैसला सुनाते हुए 'अपने ही केस में जज' कही जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस न सिर्फ होना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. उन्होंने खत में न्यायपालिका में जनता का विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता पर बल भी दिया. 

ममता की याचिका पर न्यायमूर्ति चंदा ने 16 जून को सुनवाई की थी और 24 जून तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी.सूत्रों के मुताबिक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से संबंधित मामलों में याचिकाकर्ता यानी ममता बनर्जी  का अदालत के समक्ष उपस्थित होना जरूरी था. अन्यथा कोर्ट याचिका खारिज कर सकती थी.

बता दें कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनाव परिणाम को चुनौती देने के लिए मई में अदालतों का रुख किया था. उन्होंने शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ा और 2,000 से कम मतों से हार गईं थी. 

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