पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) और "केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल" को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधा है. उत्तर 24 परगना जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि जब INDIA गठबंधन देश के बाकी हिस्सों में होगा, बंगाल में "केवल तृणमूल कांग्रेस होगी जो भाजपा का मुकाबला करेगी." इसके साथ ही ममता बनर्जी ने उन अटकलों को विराम दे दिया है, जिसमें पूछा जा रहा था कि पार्टी बंगाल में सीटों का बंटवारा करेगी या नहीं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल अपनी कोलकाता यात्रा के दौरान कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन को कोई रोक नहीं सकता है. इस कानून का तृणमूल कांग्रेस विरोध कर रही है. शाह ने कहा था, "कभी-कभी वह लोगों, शरणार्थियों को गुमराह करने की कोशिश करती है कि क्या सीएए देश में लागू होगा या नहीं. मैं यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि सीएए देश का कानून है और कोई भी इसके कार्यान्वयन को रोक नहीं सकता है. यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है."
हालांकि ममता बनर्जी ने फिर से पार्टी पर लोगों को "गुमराह" करने का आरोप लगाया. बनर्जी ने लोगों को संबोधित करते हुए मुफ्त राशन, पैन, आधार और स्वास्थ्य कार्ड की ओर इशारा करते हुए कहा, "जहां तक नागरिकता की बात है, याद रखें, आप सभी इस देश के नागरिक हैं."
उन्होंने कहा, "पहले, नागरिकता कार्ड जिला मजिस्ट्रेटों की जिम्मेदारी थी, लेकिन अब इसे केवल राजनीति के लिए छीन लिया गया है. वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं. वे इसे (नागरिकता) किसी को देना चाहते हैं और दूसरों को इससे वंचित करना चाहते हैं. यदि किसी (समुदाय) को नागरिकता मिल रही है तो दूसरे (समुदाय) को भी मिलनी चाहिए. यह भेदभाव गलत है.''
उन्होंने कहा, "जो लोग 1971 तक बांग्लादेश से (बंगाल में) आए थे और उसके बाद कॉलोनियों में रहते हैं, और हम उन सभी कॉलोनियों को चिरोस्थायी ठिकाना नाम से पट्टे दे रहे हैं. हम सभी को पट्टे दे रहे हैं, जिससे उन्हें शरणार्थियों की तरह न रहना पड़े."
2019 में पारित हुआ था नागरिकता संशोधन अधिनियमसीएए 2019 में पारित हुआ था और यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के सताए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रयास करता है, जो 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके थे. इसके कारण धर्म पहली बार नागरिकता के लिए महत्वपूर्ण कारक बन गया.
आलोचकों का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. 2020 में बंगाल ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया और ऐसा करने वाला चौथा राज्य बन गया. ममता बनर्जी ने घोषणा की थी, "बंगाल में, हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे."
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