पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने IAS (कैडर) नियमावली, 1954 में प्रस्तावित संशोधन को लेकर गुरुवार को फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और कहा कि इससे अधिकारियों में ‘भय का माहौल' पैदा होगा एवं उनका कार्य-निष्पादन प्रभावित होगा.आठ दिनों में इस विषय पर दूसरी बार मोदी को लिखे पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि संशोधन से संघीय तानाबाना एवं संविधान का मूलभूत ढांचा ‘नष्ट' हो जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करता है तो ‘बड़ा आंदोलन' किया जाएगा. इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि यह केंद्र के हर फैसले का विरोध करने की 'प्रवृत्ति' है जो देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है.
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मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं आपसे केंद्र सरकार के इस कदम पर सहृदय पुनर्विचार करने एवं इस प्रस्तावित संशोधन की दिशा में आग नहीं बढ़ने की अपील करती हूं. मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि हमें इस मुद्दे पर इस हद तक नहीं धकेला जाए कि हम इस महान लोकतंत्र , जो भारत है एवं रहा है, की आत्मा की रक्षा की खातिर बड़े आंदोलन के लिए विवश हो जाएं.''बनर्जी ने यह भी कहा कि यदि प्रस्तावित बदलाव लागू किये गये तो इससे केंद्र एवं राज्य के बीच एक दूसरे की भावना के सम्मान के जज्बे को ‘अपूरणीय' क्षति पहुंचेगी.केंद्र सरकार ने नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव रखा है जिससे वह राज्य सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर आईएएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापित कर पाएगा. बनर्जी ने 13 जनवरी को मोदी को पत्र लिखकर उनसे इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ने की अपील की थी.
उन्होंने बृहस्पतिवार को पत्र में लिखा, ‘‘ मैं आईएएस कैडर प्रबंधन के मुद्दे पर एक सप्ताह में ही दूसरी बार आपका ध्यान आकृष्ट करने के लिए बाध्य हूं. मैंने आपको इस विषय पर लिखकर अपनी आपत्ति आपके सामने रखी थी..... लेकिन मुझे अपनी बातों को फिर दोहराते हुए लिखना पड़ा है क्योंकि केंद्र सरकार ने इस बीच एक अन्य संशोधित मसौदा प्रस्तावित कर अपना रूख कड़ा कर लिया है और इस विषय को गैर संघीय अतिरेक तक ले गयी है. ''पिछले पत्र में भी बनर्जी ने प्रस्तावित संशोधन पर अपनी आपत्ति जतायी थी और कहा था कि यह ‘सहयोगपरक संघवाद की भावना' के विरूद्ध है.
भाजपा ने ममता बनर्जी के अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस मामले पर तृणमूल का रुख 'देश के संघीय ढांचे के लिए हानिकारक' है. बंगाल भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘राज्य सरकार के मनमाने रवैये के कारण आईएएस अधिकारियों को नुकसान हुआ है. अधिकारियों के करियर की प्रगति को ध्यान में रखते हुए नियमों में संशोधन किया जा रहा है.' विपक्षी कांग्रेस की राय भी तृणमूल के समान थी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘हमने अलपन बंदोपाध्याय का उदाहरण देखा है, जिनकी प्रतिनियुक्ति को लेकर विवाद हुआ. भाजपा सरकार आईएएस अधिकारियों की तैनाती से लेकर संघीय ढांचे के हर अन्य पहलू तक - हर चीज को नियंत्रित करने की कोशिश करती है. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है. “ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने हालांकि आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन के केंद्र के प्रस्ताव का विरोध किया, लेकिन आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार भी, सिविल सेवकों को 'भयभीत करने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके' अपनाती है.