"महिला आरक्षण बिल का हमेशा से समर्थन, लेकिन सरकार को इन सवालों का देना होगा जवाब..": मल्लिकार्जुन खरगे

Women's Reservation: राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. 2010 में राज्यसभा में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पास करवाया था. उन्होंने इस बिल को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.

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मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हैं.
नई दिल्ली:

नए संसद भवन (New Parliament House) के लोकसभा में मंगलवार (19 सितंबर) को 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया. महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. लोकसभा (Loksabha) की 543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. लोकसभा में इस बिल पर कल 20 सितंबर को सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक बहस होगी. इससे पहले विपक्षी दलों के नेताओं की इस बिल पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने केंद्र सरकार पर महिला आरक्षण बिल को लेकर धोखा देने का आरोप लगाया है. 

मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X(पहले ट्विटर) पर लिखा- "महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है. 2010 में राज्यसभा में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पास करवाया था. राजनीति में जिस प्रकार SC-ST वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार OBC वर्ग की महिलाएं समेत सभी को इस विधयेक से सामान मौका मिलना चाहिए. आज जो मोदी सरकार विधेयक लाई है, उसको गौर से देखने की ज़रुरत है. विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये Decadal Census (जनगणना) और Delimitation (परिसीमन) के बाद ही लागू किया जाएगा. इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाज़े बंद कर दिए हैं. बीजेपी को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए."

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कांग्रेस ने भी सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया X अकाउंट पर जारी एक पोस्ट में मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने लिखा- “महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए. यह बिल आज पेश जरूर हुआ, लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता. ऐसा क्यों? क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा. आपको बता दें 2021 में ही जनगणना होनी थी, जो कि आज तक नहीं हो पाई. आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. खबरों में कहीं 2027 तो कहीं 2028 की बात कही गई है. इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा."

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कांग्रेस ने आगे लिखा-  "मतलब पीएम मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है. मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ा है.” ऐसी ही एक और पोस्ट में कांग्रेस ने लिखा है, “अभी लागू नहीं होगा महिला आरक्षण बिल. जानें क्यों?"

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महिला आरक्षण बिल कानून बन भी गया तो क्या फंसा है पेंच
आला सरकारी सूत्र के मुताबिक, महिला आरक्षण 2029 के लोकसभा चुनाव से संभव हो सकता है. आरक्षण को अमली जामा पहनाने के लिए लंबी संवैधानिक प्रक्रिया है. इस बिल को 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की जरुरत नहीं है. यानी संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा. लेकिन सरकार सबसे पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के रूल्स नोटिफाई करेगी. इसके बाद जनगणना का काम शुरू होगा. उसके बाद परिसीमन आयोग लोकसभा और विधानसभा परिसीमन का काम पूरा करेगा. महिला आरक्षण कानून जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा.

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