मालेगांव ब्‍लास्‍ट केस: शांत बैठी सुनती रहीं प्रज्ञा, कुलकर्णी ने जोड़े हाथ... जानें कोर्ट के अंदर का क्या था

फैसला सुनने के बाद साध्‍वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और अन्‍य के चेहरे पर एक सुकून-सा था. सुकून 17 साल से लगे आरोपों के धब्‍बे के खत्‍म हो जाने का. सुकून अदालत से बाइज्‍जत बरी होने का. सुकून इस बात का कि वे बेदाग होकर बाहर निकलने वाले हैं 

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  • मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 वर्षों बाद एनआईए की विशेष कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
  • विशेष न्यायाधीश ने जांच में खामियों को उजागर करते हुए आरोपियों को संदेह का लाभ देने का निर्णय लिया.
  • विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी. कोर्ट ने धर्म या आतंकवाद से जुड़ा कोई दोष प्रमाणित नहीं पाया.
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मुंबई:

मालेगांव ब्लास्ट केस में करीब 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं. इस बम विस्‍फोट में 6 लोगों की जान चली गई थी. इस घटना को लेकर भगवा आतंकवाद के भी आरोप लगे. वहीं कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता है. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन अदालत सिर्फ धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती. एनआईए के मामलों की सुनवाई के लिए यहां नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. 

कर्नल पुरोहित
Photo Credit: PTI

कोर्ट रूम का आंखों देखा हाल!

गुरुवार को कोर्ट ने जब ये फैसला सुनाया, तो कोर्टरूम खचाखच भरा था. फैसले के लिए 11 बजे का वक्त तय था, लेकिन सभी आरोपी 10 बजे से ही कोर्ट में आना शुरू हो गए थे. इसके साथ ही कोर्ट में दोनों पक्षों के लोग, पत्रकार और वकील भी बैठे हुए थे. 

इस मामले की मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बुलाहट हुई. वो विटनेस बॉक्स में पहुंचीं. कोर्ट के फैसले से वो रिलैक्स दिखाई दे रही थीं. जिस वक्त जज एके लाहोटी फैसला  पढ़ रहे थे, वो वहीं मौजूद रहीं. पूरे ऑर्डर को सुनती रहीं. उनके चेहरे के  हाव-भाव बदल रहे थे. जैसे जैसे कोर्ट का फैसला पक्ष में आ रहा था, साध्वी प्रज्ञा का चेहरा दमक रहा था. 

समीर कुलकर्णी
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विटनेस बॉक्स के पास बाकी आरोपियों को बैठाया गया था. सभी छह में सबसे आगे कुलकर्णी बैठे हुए थे. सबसे पीछे मुख्य आरोपी नंबर दो श्रीकांत पुरोहित बैठे थे. आदेश के समय शांत तरीके से पुरोहित सुन रहे थे. उनका चेहरा नीचे था. उनके हाव-भाव शांत थे. जैसे-जैसे ऑर्डर बढ़ रहे थे, वो पूरी सतर्कता से सुन रहे थे. जज ने फैसला सुनाते हुए एक एक का नाम पढ़ना शुरू गिया. 

अजय राहिरकर
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सबसे पहले साध्वी का प्रज्ञा का नाम पढ़ा. जैसी ही कुलकर्णी का नाम आया, वो उठे और हाथ जोड़े. फैसला सुनने के बाद साध्‍वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और अन्‍य के चेहरे पर एक सुकून-सा था. सुकून 17 साल से लगे आरोपों के धब्‍बे के खत्‍म हो जाने का. सुकून अदालत से बाइज्‍जत बरी होने का. सुकून इस बात का कि वे बेदाग होकर बाहर निकलने वाले हैं. 

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रमेश उपाध्याय
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साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर ने कोर्ट में क्‍या कहा?

सुनवाई के दौरान साध्‍वी प्रज्ञा ने कोर्ट में कहा, 'मुझे 13 दिन तक टॉर्चर किया गया , इतना अपमान सहन किया, साध्वी रो रही है कोर्ट में. मैं सन्यासी जीवन जी रही थी, हमें आतंकवादी बना दिया गया. जिन लोगों ने कानून में रहते हुए हमारे साथ गलत किया, उनके खिलाफ भी बोल नहीं सकती.' उन्‍होंने कहा, '17 वर्षों से संघर्ष कर रही हूं.'

साध्‍वी ने कहा, 'भगवा को कलंकित किया गया. आप के फैसले खुश हुई अपने मेरे दुख दर्द को समझा. ये केस मैंने नहीं जीता, ये भगवा की जीत हुई है. हिंदुत्व की विजय हुई, मेरा जीवन सार्थक हो गया. जिन लोगों ने हिंदू आतंकवाद कहा, भगवा आतंकवाद कहा, उनको दंड मिलेगा.'

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