टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने संसद की सदस्यता से निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने (Cash For Query) के मामले में शुक्रवार (8 दिसंबर) को महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने एथिक्स कमेटी (Ethics Committee) की रिपोर्ट पर वोटिंग कराई, जो ध्वनिमत से पास हो गया. लोकसभा से निष्कासन के बाद महुआ ने कहा कि एथिक्स कमेटी ने मुझे झुकाने के लिए बनाई गई अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया. ये बीजेपी के अंत की शुरुआत है.
महुआ मोइत्रा लोकसभा के फैसले के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकती थीं, लेकिन उन्होंने अनुच्छेद -32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बता दें कि संसद में पारित कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जो उन्होंने किया है. अगर महुआ निर्दोष पाई जाती हैं, तो उनकी सांसदी बहाल हो सकती हैं. अगर दोषी पाई जाएंगी, तो सांसदी बहाल करने के सारे रास्ते बंद जो सकते हैं.
ऐसे गई महुआ की सांसदी
महुआ मोइत्रा को संसद में रिश्वत लेकर सवाल पूछने के आरोप में दोषी पाया गया. भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने' के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था.
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