महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी सत्ता परिवर्तन की लड़ाई कानूनी दांवपेच (Legal Battles) में फंसती नजर आ रही है. अगर इस लड़ाई में कानून दांवपेच की इंट्री हो जाती है तो यह सियासी संकट काफी लंबे समय तक चलने वाला है. शिवसेना (Shiv Sena) ने अपनी सरकार बचाने के लिए एक सियासी चाल चल दी है. सीएम हाउस में बैठक में शामिल न होने वाले 12 विधायकों के निलंबन के लिए शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखा है. अगर डिप्टी स्पीकर इन 12 शिवसेना के विधायकों को निलंबित कर देते हैं तो यह मामला कानूनी दांवपेच में उलझ सकता है. इसके बाद बागी विधायकों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है.
शिवसेना के असली चीफ व्हिप को लेकर विधान भवन में तकनीकी पहलुओं पर संघर्ष शुरू हो गया है. शिवसेना ने एकनाथ शिंदे गुट के 12 बागी विधायकों की सदस्यता बर्खास्त करने के लिए डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिखी है. वहीं दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट ने 37 विधायकों ने हस्ताक्षर वाला पत्र राज्यपाल को देकर शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की नियुक्ति पर ही सवाल उठाया है. साथ ही कहा है कि चीफ व्हिप विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही लागू होता है पार्टी की मीटिंग के लिए नहीं.
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मतलब यह है कि मामला अब सिर्फ बहुमत साबित करने तक नही बल्कि कानूनी लड़ाई की तरफ बढ़ता दिख रहा है. शिवसेना में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों की कार्रवाई को देखने पर लग रहा है कि अब संघर्ष लंबा खिंचेगा. क्योंकि 37 विधायकों के साथ अगर एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते भी हैं तो पहले 12 विधायकों वाली अर्जी पर फैसला जरूरी हो सकता है.
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