महाराष्ट्र (Maharashtra) के जालना में कारपेट की तरह सड़क उखाड़ने के वीडियो ने सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठा दिया है. वीडियो के जरिए ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार ने पहले से बनी सड़क पर प्लास्टिक बिछाकर उस पर डामर डालकर खराब सड़क बनाई है, हालांकि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया है कि ये सड़क बनाने की जर्मन तकनीक है, जिसे पूरा होने के पहले ही लोगों ने उसे उखाड़ दिया. इस बीच वीडियो वायरल होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार की टीम जांच के लिए जालना पहुंच चुकी हैं.
When Kaleen Bhaiya ventures into Road construction The contractor made a fake road— with carpet as a base! #Maharashtra #India #Wednesdayvibe pic.twitter.com/6MpHaL5V6x
— Rohit Sharma 🇺🇸🇮🇳 (@DcWalaDesi) May 31, 2023
बेशक, सड़क का इस तरह उखड़ना हैरान करने वाला है, लिहाजा ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जालना जिले की अंबड तहसील में गांववालों ने इस वीडियो को वायरल कर बन रही सड़क की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. यहां मौजूद ग्रामीणों ने कहा कि ये सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही सड़क है. इस राणा ठाकुर बना रहे हैं. सब बोगस काम चल रहा है.
सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और इंजीनियर ने मौके पर जाकर सड़क का मुआयना भी किया. अंबड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सविता सालगर ने एनडीटीवी को फोन पर बताया कि अंबड तहसील में जर्मन तकनीक से दस किलोमीटर की सड़क बनाई जा रही है, जिसमें 130 से ज्यादा डिग्री सेंटीग्रेट पर डामर बिछाया जाता है, जिसे सेट होने में एक से दो घंटे लगते हैं, लेकिन गांववालों ने उसके पहले ही प्लास्टिक शीट उठा दी, इसलिए डामर कारपेट की तरह उठता दिख रहा है
क्या है जर्मन तकनीकी ?
जर्मन तकनीक में सबसे पहले केमिकल और सीमेंट का मिक्सर बिछाया जाता है, जिसे सीमेंट ट्रीटेड बेस कहते हैं. उसके ऊपर जिओ फैब्रिक का सेमिलेयर जो प्लास्टिक की तरह दिखता है, उसे बिछाया जाता है. उसके ऊपर 40 एमएम का बिटुमिनस कंक्रीट यानी डामर बिछाया जाता है.
प्रशासन के मुताबिक- ये तकनीक अभी प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल की जा रही है, जिसमें जालना में दस किलोमीटर तक का कॉन्ट्रैक्ट मेहरा एंड कंपनी को दिया गया है. इस बीच सड़क ठेकेदार ने गांववालों के आरोप को गलत बताते हुए अपने काम और सामग्री को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा बताया है.
ठेकेदार खुशाल सिंह राणा ठाकुर ने कहा कि डामर का काम चालू है. हर रोज डामर की क्वालिटी चेक होती है. इसलिए तकनीकि दृष्टि से मेरे काम में कोई त्रुटि नहीं है. और जिस वायरल वीडियो की बात करते हैं कि सड़क पर इसे सेट होने के लिए 2 से 3 घंटे का समय लगता है. पेच सेट होने में भी काफी समय लगता है. ठंडा होने के बाद फिर रोलर घुमाया जाता है तो उसके बाद समस्या नहीं आती, लेकिन कुछ लोगों ने आकर इसे गीलेपन में ही उठा दिया. इसमें मेरा दोष नहीं है.
बहरहाल, जर्मन तकनीक से बन रही दस किलोमीटर में से 6 किलोमीटर की सड़क बन चुकी है और उस पर गाडियां दौड़ भी रही हैं, लेकिन अब उस वीडियो के वायरल होने के बाद सरकार जाग उठी है. केंद और राज्य दोनों की एक- एक टीम मौके पर जांच करने पहुंची है और जांच पूरी होने तक सड़क के काम पर रोक लगा दी गई है.